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उत्तराखंड के RSS कार्यकर्ता ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, इच्छा मृत्यु की मांग

उत्तराखंड में श्रम विबाग की ओर आयोजित कार्यक्रम में एक आरएसएस कार्यकर्ता ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के सामने जमकर हंगामा किया और अधिकारियो पर गंभीर आरोप लगाए.

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Published : Jul 2, 2019, 11:24 PM IST

इच्छा मृत्यु मांगने वाला युवक

उत्तराखंड:श्रम विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एक आरएसएस कार्यकर्ता ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के सामने जमकर हंगामा किया. इस दौरान मंत्री के समर्थक और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उसे समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन नौकरी से निकाले जाने से नाराज युवक काफी देर तक हंगामा करता रहा. मंत्री के सामने ही युवक ने श्रम विभाग के अधिकारियों पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए. वहीं, पीड़ित युवक ने राष्ट्रपति को एक लेटर भेज कर इच्छा मृत्यु की मांग की है.

कार्यकर्म में पहुंचे हरक सिंह

दरअसल, मंगलवार को श्रम विभाग की ओर से वैशाली मंडप में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान कार्यक्रम में एक आरएसएस कार्यकर्ता ने अपनी मांग को लेकर जमकर हंगामा शुरू कर दिया. श्रम विभाग के अधिकारियों ने युवक को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना. वहीं, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी युवक को बिना आश्वासन दिए ही वहां से चलते बने.

जानकारी के मुताबिक युवक का नाम अरुण सैनी है. जो रुड़की से सटे सलेमपुर गांव का रहने वाला है. अरुण सैनी बीते 10 सालों से सिडकुल स्थित हीरो मोटर कॉर्प कंपनी में नौकरी करता था. अरुण का आरोप है कि कंपनी में ग्रुपबाजी के चलते उसे गलत तरीके से निकाल दिया गया है. जबकि वो किसी भी गुटबाजी में शामिल नहीं था.

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अरुण का आरोप है कि कंपनी के एक ग्रुप के दो कर्मचारियों ने घर में घुसकर उसकी पत्नी के साथ छेड़छाड़ भी की. जिस पर उसकी पत्नी ने शोर मचाया और भीड़ इकट्ठा हो गई. जिसके बाद मौके पर मौजूद लोगों की उनकी पिटाई कर दी. इतना ही नहीं दोनों पक्षों की ओर से पुलिस में तहरीर भी दी गई. जिस पर मुकदमा भी दर्ज किया था, लेकिन कंपनी में मजबूत ग्रुप के चलते अरुण को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

अरुण सैनी ने बताया कि कंपनी से सस्पेंड होने के बाद से ही वो श्रम विभाग और मुख्यमंत्री तक के चक्कर लगा चुका है, लेकिन उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. इसी नाराजगी के चलते उसने मंत्री के सामने अपनी समस्या रखी, लेकिन कैबिनेट मंत्री ने उसे ठोस कार्रवाई का आश्वासन तक नहीं दिया.

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