हैदराबाद : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दशहरे के मौके पर नागपुर के हेडक्वॉर्टर में शस्त्र पूजा की. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया.
अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कोविड-19 से हुआ नुकसान भारत में कम है क्योंकि देश का प्रशासन पहले से ही जनता को सतर्क करता आ रहा है. इसके लिए एहतियाती कदम उठाए गए और नियम बनाए गए. लोगों ने अतिरिक्त सावधानी बरती क्योंकि उनके मन में कोरोना का डर था. सभी ने अपना-अपना काम किया है.
'भारत की विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोड़ने का घृणित प्रयास, हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को झूठे सपने तथा कपोलकल्पित द्वेष की बातें बता कर चल रहा है. 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' ऐसी घोषणाएं देने वाले लोग इस षड्यंत्रकारी मंडली में शामिल हैं.'
सुरक्षा को लेकर भागवत का संबोधन मोहन भागवत ने कहा कि 'हिन्दू' शब्द की भावना की परिधि में आने व रहने के लिए किसी को अपनी पूजा, प्रान्त, भाषा आदि कोई भी विशेषता छोड़नी नहीं पड़ती. केवल अपना ही वर्चस्व स्थापित करने की इच्छा छोड़नी पड़ती है. स्वयं के मन से अलगाववादी भावना को समाप्त करना पड़ता है.
समस्त राष्ट्र जीवन के सामाजिक, सांस्कृतिक, इसलिए उसके समस्त क्रियाकलापों को दिग्दर्शित करने वाले मूल्यों का व उनकी व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यवसायिक और सामाजिक जीवन में अभिव्यक्ति का नाम 'हिन्दू' शब्द से निर्दिष्ट होता है.'
शिक्षा नीति को लेकर बोले भागवत 'देश की एकात्मता के व सुरक्षा के हित में 'हिन्दू' शब्द को आग्रहपूर्वक अपनाकर, उसके स्थानीय तथा वैश्विक, सभी अर्थों को कल्पना में समेटकर संघ चलता है. संघ जब 'हिन्दुस्थान हिन्दू राष्ट्र है' इस बात का उच्चारण करता है तो उसके पीछे कोई राजनीतिक अथवा सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती.'
इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है.
भागवत ने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए.
कोरोना संकट की वजह से इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशमी कार्यक्रम के लिए अहम बदलाव किए गए हैं. इस बार दशहरे के मौके पर कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा, इसके साथ ही सभागार के अंदर केवल 50 स्वयंसेवकों को ही अनुमति दी गई है.
मोहन भागवत का कहना है कि 'स्थापना दिवस के बाद से पहली बार है कि विजयादशमी कार्यक्रम का आयोजन इतने कम संख्या में किया जा रहा है. हमने कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है.'
अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि 2019 में, अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हो गया, फिर एससी ने नौ नवंबर को अयोध्या का फैसला दिया. संपूर्ण देश ने फैसले को स्वीकार कर लिया. पांच अगस्त 2020 को, राम मंदिर का आधार समारोह आयोजित किया गया था. हमने इन घटनाओं के दौरान भारतीयों के धैर्य और संवेदनशीलता को देखा है.