हैदराबाद : भारत के हर नागरिक को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है. सूचना का अधिकार को संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत लोग किसी भी लोक प्राधिकारी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं सूचना के अधिकार के अंतर्गत 2005 से अबतक कितने आरटीआई आवेदन प्राप्त और खारिज किये गए हैं. आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष 2017-18 की तुलना में समीक्षाधीन वर्ष के दौरान आरटीआई आवेदनों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
2016-17 की तुलना में 2017-18 में 34.67 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 की तुलना में 2015-16 में 5.48 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 में 9.46 प्रतिशत की कमी थी, जबकि 2013-14 में पिछले वर्षों की तुलना में 2.18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी. इस प्रकार पिछले पांच वर्षों के दौरान आरटीआई आवेदनों की प्राप्ति में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है.
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 20 (एक) के तहत 30,41,000 रुपये का जुर्माना लगाया. 2017-18 में रिकॉर्ड 12.3 लाख आरटीआई आवेदन दर्ज किए गए थे, जिनमें से 96 प्रतिशत सरकारी कार्यालयों द्वारा जवाब दिए गए थे, जो कानून के लागू होने के बाद से यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला साल रहा था.
2017-18 के दौरान, 12.33 लाख आरटीआई आवेदन पंजीकृत केंद्रीय लोक प्राधिकरण (पीए) द्वारा प्राप्त किए गए थे. तो वहीं 2016-17 के दौरान रिपोर्ट की तुलना में यह 3,17458 या 26 प्रतिशत अधिक है.
केंद्र ने 2017-18 के दौरान संसाधित हुए आरटीआई आवेदनों में से चार प्रतिशत (63,206) को अस्वीकार कर दिया, जो 2016-17 में रिपोर्ट किए गए 6.59 प्रतिशत से घटकर 2.59 प्रतिशत हो गया.
सरकार द्वारा एक पारदर्शिता ऑडिट 2092 केंद्रीय लोक प्राधिकरण के बीच इस तरह के खुलासे का खराब स्तर पाया गया. वास्तव में लगभग 60 प्रतिशत पीए ने ऑडिट का जवाब नहीं दिया.