हैदराबाद : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच तनाव जारी है. गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भी चीन बाज नहीं आ रहा है और घुसपैठ के लिए नए-नए पैंतरे आजमा रहा है. चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक में हुए निर्णयों को भी नहीं मान रहा है.
20 कदम आगे बढ़कर 10 कदम पीछे जाना चीन की पुरानी चाल रही है, लेकिन इस बार भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है. एलएसी पर चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ रहा है. कोरोना वायरस के चलते भी चीन की पूरी दुनिया में फजीहत हुई है. ऐसे में चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है. दुनिया का ध्यान भटकने के लिए चीन एलएसी पर तनाव पैदा कर रहा है.
क्या ये तनाव LAC पर बातचीत की मेज से होता हुआ दिल्ली और बीजिंग तक पहुंचेगा या फिर स्थितियां युद्ध की तरफ बढ़ रही हैं. आखिर गलवान घाटी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, चीन और भारत दोनों के लिए. इन सब बिंदुओं पर ईटीवी भारत ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया से खास बातचीत की.
गोविंद सिसोदिया सेना से लेकर एएसजी तक में रहे और 26/11 के मुंबई हमले में एनएसजी कमांडोज को लीड किया था. श्रीलंका से लेकर श्रीनगर तक ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया ने दुश्मनों से लोहा लिया है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया से बातचीत के अंश...
सवाल : मोदी सरकार इस पूरी परिस्तिथि को निंयत्रित कर रही है. एक पूर्व सैनिक होने के नाते आप इसे कैसे देखते हैं. क्या कहीं कोई चूक नजर आ रही है.
जवाब- मुझे कोई चूक नजर नहीं आ रही है. पीएम, वित्त और विदेश मंत्री के स्टेटमेंट एक ही हैं, ईंट का जवाब पत्थर. जब सरकार की तरफ से ऐसा स्टेटमेंट आता है तो सेना का मोराल हाई हो जाता है. ट्रूप्स के मूवमेंट पर कोई रोक नहीं लगाई, सारे ट्रूप्स आगे भेज दिए गए. रक्षा मंत्री ने एक्यूपमेंट खरीदने की एडिशनल पावर भी दे दी. ये साफ संकेत है कि सरकार ने इस विषय को गंभीर तौर पर लिया है. सरकार इस विषय पर सही निर्णय ले रही है, ताकि भारत की सेना का मनोबल बना रहे. दूसरी तरफ चीन को ये न लगे कि भारत दब गया है.
सवाल : विपक्ष लगातार कह रहा है कि चीन ने भारत की जमीन कब्जा ली है जबकि भारत सरकार कह रही है हमारी जमीन पर एक इंच भी कब्जा नहीं हुआ है.
जवाब- कुछ लोग लोग कह रहे हैं कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है. ये कब्जा अभी का नहीं है. फिंगर-4 और फिंगर-8 पर चीन लंबे समय से है. मेरे विचार से अप्रैल से लेकर अब तक चीन हमारे इलाके में नहीं है.
सवाल : चीन मानता क्यों नहीं है.
जवाब- चीन की अपनी पॉलिसीज हैं. चीन का मकसद दुनिया को डोमिनेट करना है. शी जिनपिंग की पॉलिसी दुनिया में दबदबा कायम करने की है. चीन का मकसद सुपर पावर बनना है. चीन साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) में टांग अड़ा रहा है. चीन का वियतनाम के साथ विवाद है. यहां तक कि अमेरिका के साथ भी इनके रिश्ते अच्छे नहीं है. सिर्फ रूस के साथ इनके संबंध सामान्य है. इसके अलवा चीन के सभी पड़ोसी मुल्क छोटे हैं. इनके ऊपर चीन हर किस्म का दबाव डाल रहा है. नेपाल, भूटान, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया पर चीन ने दबदबा बनाने की कोशिश की है. पाकिस्तान चीन की जेब में है.
चीन को डर सता रहा है कि भारत, अमेरिका के करीब जा रहा है और एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. चीन ये बात स्वीकार नहीं कर पा रहा है. चीन की पॉलिसी अमेरिका को आइसोलेट करने की है. इसी के तहत उसने अपना बीआरआई प्रोजेक्ट शुरू किया है. स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स के तहत चीन ने दुनिया के कई देशों के बंदरगाहों तक अपनी पहुंच बनाई है. चीन समुद्र को डोमिनेट करने की कोशिश कर रहा है, चाहे वो साउथ चाइना सी हो, ईस्ट चाइना या फिर जापान के साथ लगती समुद्री सीमा.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि चीन भारत के साथ क्यों उलझ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि चीन नहीं चाहता कि भारत अमेरिका के साथ जाए और न ही वह एशिया में अपना कोई प्रतिद्वंदी चाहता है. इसीलिए चीन ने सोच समझकर एलएसी पर भारत को उलझाया है. भारत के दिल में आज भी दर्द है कि चीन उसके अक्साई चीन पर कब्जा करके बैठा है.
चीन बीच-बीच में भारत को रणनीतिक स्तर पर भी घेरने की कोशिश करता है. चीन ने भारत को न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप में शामिल नहीं होने दिया. मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आंतकी घोषित करने के लिए चीन ने लंबा समय लिया. चीन हर तरफ से भारत को दो कदम पीछे करना चाहता है. पर आज का भारत 1962 का नहीं है. आज भारत एक शाक्तिशाली देश है. आज एशिया में सिर्फ भारत ही चीन को टक्कर देता है. गलवान, डोकलाम और फिंगर एरिया में घुसपैठ चीन की एक सोची समझी चाल है.