नई दिल्ली : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट संसद में शनिवार को पेश किया गया.
देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में विशेष रूप से ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए वित्त मंत्री ने 16 सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की है. साथ ही कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए पिछले बजट की तुलना में बजटीय आवंटन को बढ़ाने का काम भी किया गया है.
गौरतलब है कि कृषि और संबंधित क्षेत्र के बजट को 2.83 लाख करोड़ कर दिया गया है, लेकिन विशेषज्ञों की इस बजट के बारे में क्या राय है और वह किस तरह से इसका विश्लेषण करते हैं? इसी विषय पर चर्चा करने के लिए ईटीवी भारत ने इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) के अध्यक्ष डॉक्टर एम.जे. खान से बातचीत की.
ईटीवी भारत ने इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष डॉक्टर एमजे खान से बातचीत की कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ होने के नाते कई बिंदुओं पर एम.जे. खान ने इस बजट का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कुछ ऐसे बिंदुओं को भी अंकित किया, जिसे बजट का हिस्सा होना चाहिए था, लेकिन उस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई. जैसे कि कृषि में यंत्रीकरण हमारे देश में बहुत पीछे है. यंत्रीकरण का मतलब केवल ट्रैक्टर खरीदने से नहीं है.
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एम.जे. खान का मानना है कि हमारे देश में छोटे किसानों की संख्या बहुत अधिक है और उनके लिए किस तरह से छोटे-छोटे यंत्र विकसित किए जाएं, जिससे कि उनको खेती करने में सुविधा हो और उनके लागत मूल्य को भी कम किया जा सके. इसके लिए कोई विशेष योजना इस बजट में नहीं है.
किसानों के लिए क्रेडिट सुविधा बढ़ाने के लिए बजट 15 लाख करोड़ तक कर दिया गया है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि कृषि क्षेत्र में क्रेडिट सुविधा को बढ़ाने का कोई विशेष लाभ नहीं है. खान का मानना है कि किसानों में बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं वहां ज्यादा हुई हैं, जिन राज्यों में ज्यादा ऋण की सुविधा उपलब्ध है और किसान इसका लाभ भी उठाते हैं.