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तपोवन टनल में ऑपरेशन जिंदगी जारी, जानें रेस्क्यू अभियान की चुनौतियां

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद अब पूरा फोकस राहत-बचाव के काम पर है. सबसे बड़ी मुश्किल तपोवन की टनल में आ रही है. यहां करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है. सुरंग कीचड़ से भरी हुई है. ऐसे में अंदर जाने में काफी मुश्किलें हैं.

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Published : Feb 9, 2021, 5:45 PM IST

रेस्क्यू अभियान की चुनौतियां
रेस्क्यू अभियान की चुनौतियां

चमोली/देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह को आई तबाही के बाद पूरा फोकस सुरंग में फंसे हुए लोगों को बचाने में है. बीते तीन दिनों से यहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.

आईटीबीपी, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनडीआरएफ समेत सेना के जवान दिन- रात सुरंग से मलबा निकालने में लगे हुए हैं. रेस्क्यू टीम जैसे-जैसे सुरंग में अंदर जा रही है उनके लिए चुनौती और बढ़ती जा रही है. मलबा अधिक होने के कारण रेस्क्यू टीम सुरंग में अंदर जाने के लिए तीसरा रास्ता खोज रही है.

रेस्क्यू टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या तपोवन में बनी निर्माणाधीन सुरंग के अंदर पहुंचना है. क्योंकि यहां पर 35 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की सूचना है. समस्या ये है कि सुरंग दोनों तरफ से मलबे से अटी पड़ी हुई है. तीन दिनों में सिर्फ 150 मीटर का रास्ता ही साफ किया गया है. जबकि सुरंग की लंबाई ढाई किमी है और उसमें भी कई मोड़ हैं. ऐसे में अंदाजा नहीं लग पा रहा है मलबा कितनी दूर तक है.

डीजीपी अशोक कुमार भी पिछले तीन दिन से ग्राउंड जीरो पर ही डटे हुए थे. मंगलवार को ही वो देहरादून पहुंचे हैं. उन्होंने बताया है कि सुरंग से मलबा कब तक हटाया जा सकता है, इसके बारे में भी कुछ भी सटीक नहीं बताया जा सकता है. इंजीनियरों को टनल में जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाने को भी कहा है. आज इसका प्रयास करेंगे. मशीनें एक घंटे में 5 से 10 मीटर मलवा ही निकाल पा रही हैं.

सुरंग में फंसे लोगों के जीवित होने की उम्मीद

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि टनल 2.5 किलोमीटर लंबी है, इसलिए ये मत सोचें कि उसमें पानी और ऑक्सीजन जल्द खत्म हो जाएगा. इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से ग्लेशियर का सैलाब 20 मिनट तक चला उसके हिसाब से पानी वाला मलवा टनल के आधे हिस्से तक ही पहुंच सकता है. ऐसे में टनल में फंसे जो लोग दूर वाले छोर पर चले गए होंगे वह शायद जीवित हो सकते हैं.

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दो पुलिसकर्मी सहित 31 के शव बरामद

डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक अभीतक 31 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं, जिसमें से दो उत्तराखंड पुलिस के जवान हैं.

कई गांवों का संपर्क कटा

बाढ़ के साथ जो मलबा आया था उसमें नीती घाटी को जोड़ने वाले बीआरओ के पुल के अलावा कई छोटे पुल भी धरासाई हो गए थे. जिससे करीब 13 गांवों का संपर्क जिला और तहसील मुख्यालय से टूट गया है. हालांकि रोप पुल के सहारे उनको वैकल्पिक मार्ग आवाजाही के लिए दिया गया है. इसी रास्ते ग्रामीणों को राहत खाद्य सामग्री भेजी जा रही है.

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सीएम भी पहुंचे देहरादून

ग्रामीणों से बात करते हुए सीएम.

आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी देहरादून पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि 31 शव बरामद कर लिए गए हैं, जिसमें से दो शवों की शिनाख्त हो पाई है. इसके साथ ही 175 लापता लोगों के रेस्क्यू का कार्य जारी है.

पुल बहने के बाद जिन क्षेत्रों का संपर्क कट गया है वहां पर वैकल्पिक रास्ता तैयार किया गया है. खाद्य सामग्री और मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए रास्ता तैयार हो गया है. ड्रिल करके टनल के अंदर जाने की कोशिश की जा रही है. जिसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.

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