नई दिल्ली : गंगा की सहायक नदियों--धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में बाढ़ से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दहशत फैल गई और बड़े पैमाने पर तबाही हुई. हादसे में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा परियोजना पनबिजली परियोजना को बड़ा नुकसान हुआ और उनके कई श्रमिक सुरंग में फंस गए.
हादसे के बाद रविवार की शाम नई दिल्ली में हुई एक आपात बैठक में मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) को यह जानकारी दी गई कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है, लेकिन निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है क्योंकि जल स्तर सामान्य हो गया है.
आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि परियोजना स्थल रैणी गांव के समीप पुल के ढह जाने से सीमा चौकियों का संपर्क पूरी तरह सीमित हो गया है.
पौड़ी, टिहरी, रूद्रप्रयाग, हरिद्वार एवं देहरादून समेत कई जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आईटीबीपी एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को बचाव एंव राहत के लिए भेजा गया है, जहां वह राहत और बचाव का कार्य में लग गए हैं और टनल से मलबा हटाया जा रहा है.