हैदराबाद : देश में साइबर अपराध के मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है. 21वीं सदी के टेक्नोलॉजी युग में आपका डेटा सुरक्षित नहीं है. ये आपके हाथ में रखे मोबाइल में पासवर्ड के बाद भी उड़ाया जा रहा है. इतना ही नहीं कई लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी होने के बाद पता चलता है कि उनके साथ ठगी हुई है.
जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है. एक ही जगह पर बैठकर, इंटरनेट के जरिये मनुष्य की पहुंच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है. आज के समय में हर वो चीज जिसके विषय में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुंच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब इत्यादि. इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ साइबर अपराध भी बढ़े हैं.
किसी व्यक्ति की जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, किसी कि जानकारी को किसी और देना या नष्ट करना साइबर क्राइम है. स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक्त नजर रखना साइबर अपराध है.
साल 2018 के आंकड़ों के अनुसार अब तक साइबर अपराध में 63.5% वृद्धि हुई है. साल 2018 में 27,248 मामले दर्ज किए गए थे. इसकी तुलना में इस साल कुल 44,546 मामले दर्ज किए गए हैं.
वहीं, साइबर अपराध की दर 2018 में 2.0 से बढ़कर 2019 में 3.3 हो गई.
2019 में 2018 में इस श्रेणी के तहत अपराध दर 2.0 से बढ़कर 3.3 हो गई. 2019 में दर्ज किए गए साइबर अपराध के 60.4% (44,546 मामलों में से 26,891) मामले धोखाधड़ी के थे, 5.1% (2,266 मामले) यौन शोषण से संबंधित थे और 4.2% (1,874 मामले) बदनाम करने के मकसद से किए गए अपराध के थे.