बेंगलुरु : आगामी आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति एक जाने-माने महामारी विशेषज्ञ को रास नहीं आई है. उन्होंने कहा है कि इस तरह के स्थलों पर अधिक लोगों, खासकर बुजुर्गों की मौजूदगी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के और अधिक बढ़ने का खतरा है.
स्वस्थ भारत की दिशा में काम करने वाले संगठन 'पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया' में जीवन अध्ययन महामारी विज्ञान के प्रोफेसर एवं प्रमुख गिरिधर आर बाबू ने कहा कि अभी इस चरण में धार्मिक स्थलों को खोलना उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि 'सबसे पहली बात तो यह है कि धार्मिक संस्थान जीवित रहने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक नहीं हैं, यद्यपि बहुत से लोगों के लिए, अचानक लॉकडाउन और काम करने के सामान्य तरीकों में कमी का परिणाम मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावित होने के रूप में निकलता है.'
प्रोफेसर बाबू ने कहा कि 'अधिकतर धर्मों में घरों से पूजा-इबादत करने का प्रावधान है. धार्मिक संस्थानों को खोलना जोखिम भरा है क्योंकि इनमें से ज्यादातर बंद स्थान होते हैं, अधिकतर स्थलों पर लोगों की सबसे ज्यादा मौजूदगी होती है और इन स्थानों पर संवेदनशील श्रेणी में आने वाले वरिष्ठ नागरिक जैसे लोग जाते हैं.'
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