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सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस को मिला नया स्वरूप, फिर दिखेगा ब्रिटिशकालीन आर्किटेक्चर - सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस

मसूरी के ऐतिहासिक सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस का कायाकल्प किया जा रहा है. राज्य सरकार को सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित कर रही है.

Sir George Everest House Renovation
मसूरी सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस जीर्णोद्धार

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Published : Jul 22, 2020, 5:04 PM IST

देहरादून :पहाड़ों की रानी मसूरी में हाथीपांव पार्क रोड क्षेत्र में 172 एकड़ में बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) का जीर्णोद्धार का कार्य अनलाॅक के बाद शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि ऐतिहासिक स्थल सर जाॅर्ज एवरेस्ट के जीर्णोद्धार का कार्य अगले साल मार्च तक पूरा हो जायेगा और नये स्वरूप में नजर आयेगा.

सर जॉर्ज एवरेस्ट
सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस को मिला रहा नया स्वरूप

उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्त पोषित योजना द्वारा सर जॉर्ज एवरेस्ट हेरिटेज पार्क का जीर्णोद्वार कराया जा रहा है. जिसकी अनुमानित लागत 23.70 करोड़ है. जीर्णोद्धार का काम अरुण कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया है. इसका शुभारंभ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने 18 जनवरी 2019 को किया था. बता दें, यह कार्य 17 जून 2020 को समाप्त होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण कार्य समय से पूरा नहीं हो पाया.

सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस

जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को नये स्वरूप देने के लेकर कार्य तेजी से चल रहा है. योजना के तहत कार्टोग्राफिक म्यूजियम, आउट हाउस, बैचलर हाउस, ऑब्जर्वेटरी, स्टार गेजिंग हटस, स्टार गेजिंग डोमस, ओपन एयर थिएटर, पोर्टेबल टाॅयलेट, पोर्टेबल फूड वैन, जॉर्ज एवरेस्ट पीक के लिये ट्रैक रूट रिन्यूवेशन शामिल है.

इसी चक्की में होती है चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल की पिसाई
अंग्रेजों की बनाई शैली में ही किया जा रहा जीर्णोद्वार.

अरुण कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर कुलदीप शर्मा ने बताया कि सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए एक बड़ा और छोटा म्यूजियम बनाया जा रहा है. जिसमें सर्च जॉर्ज से जुड़े इतिहास के साथ रिसर्च में इस्तेमाल हुए सामानों को भी प्रदर्शित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के निर्माण के साथ पार्किंग व अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी विषेश ध्यान रखा जा रहा है. वहीं, मुख्य मार्ग से सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को जाने वाली सड़क का भी पुनर्निर्माण किया जा चुका है.

सर जॉर्ज एवरेस्ट ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई 8,848 मीटर और स्थिति बताई थी.

ऐतिहासिक सर जाॅर्ज एवरेस्ट हाउस का मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए अंग्रेजों की तर्ज पर सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का पुनः निर्माण किया जा रहा है. चक्की में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बनाया जा रहा है, जिससे ईंटों को चिपकाया जाएगा. उन्होंने बताया कि सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के निर्माण के लिए विशेष लाहौरी ईंट मंगवाई गई हैं.

ऊंची चोटियों को खोजने में इस्तेमाल किया गया यंत्र
इसी यंत्र के जरिए सर जॉर्ज ने एवरेस्ट की खोज की

पढ़ें-जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ पर इतिहासकार नाराज

बता दें, सर जाॅर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम माउंट एवरेस्ट रखा गया. उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था. मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में ही वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया. जॉर्ज साल 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे. सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को बचाने के साथ जॉर्ज एवरेस्ट को पर्यटन स्थल में विकसित करने के लिये लगभग 24 करोड़ की योजना से उसका जीर्णोद्धार कराया जा रहा है.

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