हैदराबाद : तुर्की ने 11 जून 2020 को एक वीडियो जारी किया, जिसमें भारत को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर टारगेट किया गया था. वहीं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर संघर्ष पर पर्याप्त ध्यान देने में विफल रहा है. जाहिर है कि तुर्की समय-समय पर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को हवा देने की कोशिश करता रहा है.
तुर्की के भारत विरोधी बयान
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर चिंता जताते हुए कहा था कि भारत सरकार का यह फैसला मौजूदा तनाव को और बढ़ा सकता है.
24 सितंबर, 2019 को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर संघर्ष पर पर्याप्त ध्यान देने में विफल रहा है. यह संघर्ष पिछले 72 वर्षों से समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है.
फरवरी 2020 में जब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने पाकिस्तान का दौरा किया तो उन्होंने कश्मीर पर फिर से बात की.
तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन की वजह
कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थन देकर तुर्की सऊदी अरब का मुकाबला करने की कोशिश में है. सऊदी अरब और तुर्की मुस्लिम देशों में प्रतिद्वंद्वी हैं.
पाकिस्तान को समर्थन देकर तुर्की को उम्मीद है कि इस्लामाबाद अंकारा के साथ-साथ सऊदी अरब से दूर चला जाएगा.
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) ने कश्मीर पर भारत की स्थिति का समर्थन किया था, इस कारण तुर्की कश्मीर की आड़ में पाकिस्तान को लुभाने की कोशिश कर रहा है.
तुर्की भी उन कुछ देशों (मलेशिया और चीन) में से एक है जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) में पाकिस्तान का समर्थन करते हैं.
भारत की प्रतिक्रियाएं
एर्दोआन ने जब यूएनजीए में कश्मीर का मुद्दा उठाया तब भारत ने भी तुर्की को करारा जवाब दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति और आर्मेनिया और ग्रीस के प्रधानमंत्रियों के साथ बैठक कर तुर्की को जवाब दिया. साइप्रस, आर्मेनिया और ग्रीस का तुर्की के साथ विभिन्न विवाद हैं.
अक्टूबर 2019 में मोदी ने तुर्की की अपनी यात्रा रद्द कर दी. तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के मद्देनजर भारत ने तुर्की के रक्षा निर्यात में कटौती की और तुर्की से आयात भी कम कर दिया.