नई दिल्ली : भारत के साथ लगी दक्षिणी सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों द्वारा अचानक अपनाए गए आक्रामक रुख को रणनीतिक और नीतिगत सहित कई आयाम मिले हैं, लेकिन यह अतीत में हजारों बार हुआ एक उल्लंघन है, जो भारतीय और चीनी सैनिकों के गश्ती दलों के अनसुलझे सीमा विवादों में एक है. दोनों सेनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं, लेकिन यहां से यह खेल अब और कठिन होने जा रहा है, क्योंकि परमाणु हथियारों से लैस दो एशियाई दिग्गज रणनीति और जवाबी रणनीति का खेल खेलने में व्यस्त हैं.
सीमा पर बढ़ते तनाव के पीछे कई घटनाओं का हाथ है. इनमें सबसे पहले भारत और चीन के बीच सीमा पर अतीत की विरासत को लेकर कई बिंदु अनसुलझे हैं. दोनों देशों के बीच कोई स्पष्ट सीमांकित सीमा नहीं है. दोनों पक्षों के सैनिक अपनी-अपनी धारणा के अनुसार गश्त करते हैं.
इसके अलावा भारत को कम से कम चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर के बराबर अपनी पहुंच बनानी होगी, जो पहले से ही भारत-चीन सीमा पर अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर पहुंच चुका है. सैन्य दृष्टिकोण से भारत को चीन के साथ उच्च ऊंचाई वाली सीमा पर बलों को तैनात करने के लिए सैन्य ढांचे को मजबूत करना होगा .
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास या उन स्थानों पर, जहां काउंटर-स्ट्राइक लॉन्च किए जा सकते हैं, वहां सुविधाओं और लॉजिस्टिक आवश्यकताओं को पूरा करना होगा. भारत के लिए यह काम आसान नहीं है.
अधिकांश क्षेत्रों में उच्च भूमि का लाभ चीन को मिलता. हालांकि एक ऊंचे पठार पर स्थित है, अपेक्षाकृत सपाट है, जबकि भारतीय हिस्सा पहाड़ी वाला और टेढ़ा है.
इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि चीनी सैन्य सिद्धांतकारों ने भारत के साथ पांच प्रमुख संघर्ष युद्ध परिदृश्यों में से एक के रूप में सीमा युद्ध की परिकल्पना की है. पीएलए सैन्य विचारक इस विशेष परिदृश्य को 'संयुक्त सीमा क्षेत्र संचालन' के रूप में बताते हैं. चीन का मानना है कि एक संभावित सीमा युद्ध में भारत तब तक हमला करने या उसे उकसाने की कोशिश नहीं करेगा, जब तक कि उसके आगे के ठिकानों पर सैनिकों और उपकरणों की बेहतर संख्या न हो. इसके लिए सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे महत्वपूर्ण होंगे. इसलिए जब भी भारत इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण और सुधार के लिए अपनी पूरी कोशिश करेगा, चीन इसे विफल करने की कोशिश करेगा.
चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा और वास्तविक सीमा रेखा तक कई बिंदुओं पर रोड हेड्स और रेल हेड्स का निर्माण किया है. दूसरी ओर भारत इसकी शुरुआत कर रहा है. चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे को विकसित नहीं करने की सरकारी नीति अपनाने के बाद भारत ने 2007 में अपनी नीति को उलट दिया और किसी भी आक्रामकता के मामले में सैनिकों की तेज आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत ने चीन सीमा तक सड़क (ICBR) निर्माण का निर्णय किया है.
इसके अलावा सबसे अहम चीज सड़कें हैं, जिनमें से एक हाल ही में शुरू हुई सड़क है. यह सड़क भारत-चीन-नेपाल तिराहे के पास लिपुलेख से जुड़ती है. इसके अलावा एक अन्य सड़क, जो 2019 में पूरी हुई थी. वह 255 किलोमीटर लंबी सड़क है, जो श्योक गांव को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से जोड़ती है, जो कि एक प्रमुख भारतीय सैन्य अड्डा है और काराकोरम पास के पास स्थित है.
इसके साथ ही सड़क बिछाने और बेहतर कनेक्टिविटी ने भारतीय सैन्य गश्ती दल को इस क्षेत्र में अधिक स्थानों पर तेजी से जाने में सक्षम बनाया है. इससे पीएलए के गश्ती दल के साथ और अधिक मुठभेड़ों की संभावना बढ़ गई है, जो पहले से ही यहां वाहनों का उपयोग कर रहे थे.