नई दिल्ली: राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अमेठी संसदीय सीट के अलावा केरल के वायनाड से भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. इस पर बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी पर तंज कसा है. कैलाश विजयवर्गीय ने राहुल को 'रणछोड़दास गांधी' करार दिया है. वाम दल के प्रकाश करात ने भी राहुल को हराने की बात कही है.
बीजेपी कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा राहुल का नाम बदल कर 'रणछोड़' कर देना चाहिए वाम दल के प्रकाश करात ने राहुल को अच्छे से हरा कर भेजने जैसा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वाम दल पूरी क्षमता से राहुल का विरोध करेंगे.
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केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने भी राहुल की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए हैं.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी राहुल के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि राहुल अमेठी में हार के डर से केरल जा रहे हैं.
UP के डिप्टी CM ने लिखा- कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में अंतिम समय है राहुल के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने की मीडिया रिपोर्ट्स पर अमेठी संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी स्मृति इरानी ने भी तंज कसा था. अपने ट्वीट में इरानी ने #BhaagRahulBhaag का प्रयोग किया था.
स्मृति इरानी ने ट्वीट कर राहुल पर तंज कसा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2014 के आम चुनाव के बाद स्मृति इरानी ने 35 से ज्यादा मौकों पर अमेठी का दौरा किया है. खबरों के मुताबिक आम चुनाव के बाद स्मृति की तुलना में राहुल गांधी ने अमेठी का कम दौरा किया है.
राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला की प्रतिक्रिया बता दें कि राहुल से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी दक्षिण भारत से लड़ चुकी हैं.
1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने कर्नाटक की बेल्लारी संसदीय सीट से सुषमा स्वराज मात दी थी. सोनिया ने सुषमा को लगभग 56,000 वोटों से हराया था.
1999 के आम चुनाव में ही पहली बाहर सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के विदेशी होने पर सवाल खड़े किए थे. बेल्लारी संसदीय सीट को वर्ष 1952 से ही कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. हालांकि, कांग्रेस की कमान संभालने के महज एक साल बाद सोनिया की जीत ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.
वर्ष 1978 के उपचुनावों में इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमगलूर से पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल के खिलाफ उम्मीदवार बनी थीं. तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंदिरा गांधी ने हर दिन 17-18 घंटे प्रचार किया था. उन्होंने 77 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.
1978 के उपचुनाव का दौर इमरजेंसी के तत्काल बाद का था. ऐसे में इंदिरा गांधी के खिलाफ चौतरफा विरोध की लहर भी थी. इस समय कांग्रेस पार्टी इंदिरा गांधी के लिए एक सुरक्षित सीट तलाश रही थी.
कर्नाटक की चिकमगलूर संसदीय सीट पर पहले से ही कांग्रेस का कब्जा था. इस सीट पर चंद्र गौड़ा पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने इंदिरा गांधी के लिए सीट छोड़ी थी.