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प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उप्र सरकार की कार्रवाई मानवाधिकार के खिलाफ : बसु

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस पर कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 130 लोगों को चिन्हित कर उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. राज्य सरकार के इस फैसले पर पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर समेत कई लोगों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी. पढ़ें पूरी खबर...

up govt against protesters
नीलोत्पल बसु

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Published : Dec 26, 2019, 7:09 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 11:41 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न जिलों में शुक्रवार को हुई हिंसा के संबंध में चिन्हित 130 लोगों को नोटिस जारी कर 50 लाख रुपये जुर्माना भरने की सूचना दी है. पूर्व राज्यसभा संसद नीलोत्पल बसु ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मानवाधिकार के खिलाफ है. उत्तर प्रदेश में शासन पक्षपातपूर्ण है और यह शर्मनाक है.

उन्होंने कहा कि वह लोगों को नोटिस भेज रहे हैं और कई वीडियो फुटेज ऐसे भी आए हैं, जिनमें पुलिस सीसीटीवी कैमरा तोड़ते हुए दिख रही है.

हर्ष मंदर, नदीम खान और योगेंद्र यादव का बयान

सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर ने इस पर कहा कि योगी सरकर इस कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है और इसे संप्रदायिक मोड़ दे रही है.

इसके साथ ही हर्ष मंदर ने कहा कि योगी सरकार जिन लोगों पर ऐसे मुकदमे लगाएगी हम उनको हर तरीके से कानूनी मदद मुहैया कराएंगे.

वहीं यूनाइटेड अगेंस्ट हेट एनजीओ के कार्यकर्ता नदीम खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर में लगभग जिनमें 65 दुकानों को सील करने की बात कही थी, लेकिन बुधवार को वहां पर सरकार ने दुकानदारों के साथ नरमी बरती है. इसलिए अब लगता है कि प्रशासन को यह समझ आ गया है कि दंगाइयों को चिन्हित करने में उनसे ही कोई चूक हुई होगी.

नीलोत्पल बसु का बयान

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने इस दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, 2019 के खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा और देशभर के अलग-अलग संगठन 30 दिसंबर को मुंबई में एक साथ मिलकर इस कानून के खिलाफ अपनी कार्य योजना तैयार करेंगे.

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योगेंद्र यादव ने दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता के दौरान सरकार से यह मांग की कि जो बेगुनाह हैं और जिन लोगों के खिलाफ बिना किसी सबूत के एफआईआर दर्ज की गई है उसे वापस लिया जाए.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक एसआईटी का गठन किया जाए, जो उत्तर प्रदेश में हुई घटना की पूरी जांच कर सके. योगेंद्र यादव ने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी इस पर स्व प्रेरणा से नोटिस जारी कर कार्रवाई करनी चाहिए.

Last Updated : Dec 26, 2019, 11:41 PM IST

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