बेंगलुरु :पिछले साल 2020 में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. इसी सिलसिले में सभी स्कूल-कॉलेज भी बंद हो गए थे. कर्नाटक में भी पिछले 10 महीनों से सभी स्कूल-कॉलेज बंद है. इसका सीधा असर बाल विवाह पर पड़ा है. बता दें, लॉकडाउन में बाल विवाह के मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है.
कर्नाटक में स्कूल बंद होने से अधिकतर माता-पिताओं ने अपने बच्चों को काम पर भेजा. वे बाल मजदूर बन गए. वहीं, इस दौरान लड़कियों की जल्दी शादी के भी मामले सामने आए हैं. लॉकडाउन में सभी प्रतिबंधों के बावजूद बड़ी संख्या में बाल विवाह हुए हैं.
सबसे ज्यादा मामले उच्च शिक्षित जिलों में हुए दर्ज
फरवरी 2020 से सितंबर 2020 तक आकड़ों पर नजर डालें तो महिला और बाल कल्याण विभाग द्वारा कड़े फैसलों के बावजूद बाल विवाह हुए. कहीं हद तक यह विभाग बाल विवाह को रोकने में सफल भी रहा. जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सबसे ज्यादा लॉकडाउन में बाल विवाह उच्च शिक्षित जिलों में कराए गए. जो आकड़े उपलब्ध हुए उनमें हसन और मैसूरु जिले में 22 और मंड्या जिले में 20 बाल विवाह हुए. वहीं, सबसे ज्यादा एफआईआर मैसूर जिले में दर्ज की गई.
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कोरोना की अवधि के दौरान महिला और बाल कल्याण विभाग करीब 1,824 बाल विवाह रोकने में सफल रहा. इसके बावजूद भी कुल लॉकडाउन में 162 बाल विवाह हुए. वहीं, बाल विवाह के खिलाफ कुल 84 एफआईआर दर्ज की गई हैं.