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कर्नाटक के अस्पताल में सात साल के बच्चे का हुआ बोन कैंसर का सफल इलाज

बोन कैंसर से जूझ रहे एक सात साल के बच्चे का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है. यहा काम कर्नाटक के इंडियाना हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट, मंगलुरु के ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी टीम ने कर दिखाया है.

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इंडियाना हॉस्पिटल

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Published : May 28, 2020, 8:55 AM IST

Updated : May 28, 2020, 9:52 PM IST

मंगलुरु : कर्नाटक के इंडियाना हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट, मंगलुरु के ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी टीम द्वारा की गई एक दुर्लभ कैंसर सर्जरी ने बोन कैंसर से प्रभावित एक 7 वर्षीय बच्चे के हाथ और कंधे को सफलतापूर्वक इलाज किया है.

बच्चे में उच्च ग्रेड ओस्टियोसारकोमा (हड्डी का कैंसर) का पता चला था जिसकी वजह से उसकी पूरी बांह की हड्डी प्रभावित हो गई थी. जिससे उसे लगातार दर्द होता रहता था . साथ ही सूजन भी तेजी से बढ़ता जा रहा था. इस दर्द के कारण बच्चे का हाथ ठीक से काम नहींं कर रहा था. दर्द की वजह से बच्चे को रातभर नींद नहीं आती थी.

पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा 10 सप्ताह के लिए कीमोथेरेपी शुरू करने के बाद, इंडियाना अस्पताल के आर्थोपेडिक ऑन्को सर्जन डॉ. नवनीत एस कामत ने यह जटिल सर्जरी की.

बच्चे के सफल इलाज के बाद मेडिकल टीम

रोगी की पूरी बांह की हड्डी और कंधे को सर्जरी के जरिेए हटा दिया गया, जिसके बाद रोगी के शरीर के बाहर ही ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट कर दिया गया.

ट्यूमर को क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल करके नष्ट किया गया. इस प्रक्रिया में कोशिकाओं को मारने के लिए पूरे हाथ और कंधे को लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल करके -194 तक जमा दिया गया जिससे कैंसर को की कोशिकाए नष्ट हो गईं.

सात साल के बच्चे के कैंसर का सफल इलाज

सर्जरी की प्रक्रिया 10 घंटे तक चली. बच्चा बिना किसी जटिलता के ठीक हो गया और अब वह दर्द मुक्त हो गया है.

डॉ. नवनीत के अनुसार, अंग को अलग के करने वाली ऑन्को सर्जरी पहले कुछ बड़े शहरों में ही होती थी.

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इससे पहले पूरे अंग को शरीर अलग कर देना ही इस बीमारी के इलाज का एक सामान्य तरीका था जिससे मरीज पूरी जिंदगी एक अंग की कमी की मार झेलता रहता था.

लेकिन अब इंडियाना अस्पताल, मैंगलोर में नव स्थापित ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी विभाग सुरक्षित और जटिल अंग बचाव सर्जरी कर रहा है.

इंडियाना अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉक्टर यूसुफ कुंबले ने कहा कि इस उपलब्धि के साथ, मैंगलोर अब बहुत कम की जाने वली हड्डी सर्जरी के लिए तीसरा मेडिकल हब बन गया है.

इन अंग रक्षक प्रक्रियाओं को एक अच्छे टीम दृष्टिकोण के साथ 80-90% रोगियों में किया जा सकता है.

डॉ। नवनीत कामत (हड्डी रोग विशेषज्ञ) के अलावा इस टीम में डॉ. जलालुद्दीन (वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन), डॉ. हरम्ब मित्तल (ऑर्थोपेडिक सर्जन), डॉ. वासुदेव भट और डॉ. दयाशंकर (पीडियाट्रिक-मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट), डॉ. निखिल और डॉ हरीश बीजी (एनेस्थेटिस्ट) शामिल थे.

Last Updated : May 28, 2020, 9:52 PM IST

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