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अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 436 ग्राम की बच्ची का जन्म, डॉक्टरों ने बचाई जान

जाको राखे साईंयां, मार सके ना कोय. कोरोना महामारी के दौर में मध्य प्रदेश के राजमिस्त्री दंपती के लिए यह कहावत ठीक साबित हुई है. भगवान का दूसरा रूप माने जाने वाले चिकित्सकों ने इस कहावत को चरितार्थ किया है. उन्हें एक नवजात की जान बचाने में कामयाबी मिली है. मध्य प्रदेश के इंदौर से गुजरात जाकर इलाज करा रहे दंपती की मानें तो उनके लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. बच्ची को दक्षिता नाम दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

अहमदाबाद सिविल अस्पताल
अहमदाबाद सिविल अस्पताल

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Published : Dec 13, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 4:43 PM IST

अहमदाबाद :साल 2020 में कोरोना महामारी ने जहां सबको झकझोर कर रख दिया. वहीं, मध्य प्रदेश के इंदौर के राजमिस्त्री जितेंद्र और रानू अंजने के लिए यह समय दोहरी मार की तरह साबित हुआ. अधिकांश लोग कोरोना वायरस के बचने का उपाय ढूंढ रहे थे वहीं, यह गरीब दंपती अपनी नवजात की जान बचाने के लिए जूझ रहे थे.

दरअसल, राजमिस्त्री का काम करने वाली रानू को इसी साल अप्रैल में पता चला कि वह गर्भवती हैं. अभी उसको गर्भवती हुए दो ही महीने बीते थे कि उसको पता चला कि वह लीवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. ऐसे में रानू को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की चिंता सताने लगी. इस दंपती ने सारी उम्मीदें खो दी थीं. इसी बीच उनको किसी ने उन्हें अहमदाबाद के सिविल अस्पताल जाने की सलाह दी.

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम

6 महीने बाद अचानक बिगड़ी तबीयत
अपनी किस्मत को अजमाने के लिए इंदौर के जितेंद्र और रानू अंजने ने इस सलाह को माना. अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाज कराने से रानू की सेहत में सुधार होने लगा. सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 6 महीने के बाद रानू की हालत गंभीर हो गई. राजमिस्त्री दंपती ने एक बार फिर सिविल अस्पताल के डॉक्टरों से सलाह ली. इस बार समस्या रानू को लेकर नहीं, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर थी.

अहमदाबाद के डॉक्टरों ने बचाई 436 ग्राम की बच्ची की जान

मात्र 436 ग्राम का नवजात

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों के सामने मां और बच्चे दोनों को बचाने की समस्या थी. सिविल अस्पताल की स्त्री रोग विभाग की डॉ. बेला शाह के अनुसार बच्चे के जीवित रहने की उम्मीद बहुत कम थी. कड़ी मशक्कत के बाद अक्टूबर में रानू ने 436 ग्राम की बच्ची को जन्म दिया.

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में जन्मी 436 ग्राम की बच्ची

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भगवान ने लिखा अलग भाग्य

अहमदाबाद सिविल अस्पताल की बाल रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनू अखानी ने कहा कि जिस पल वह सांस लेना शुरू कर रही थी, उसी समय से बच्ची मौत से लड़ रही थी. ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टरों का मानना था कि शिशु कुछ मिनटों से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएगी. हालांकि, डॉक्टर दोनों को बचाने में कामयाब रहे.

माता-पिता ने लड़की को दक्षिता नाम दिया

बच्ची के माता-पिता का कहना है कि अगर इलाज अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के अलावा किसी निजी अस्पताल में कराने की नौबत आती तो 10 से 12 लाख रुपये खर्च करने पड़ते. उन दोनों के बास इतने पैसे नहीं थे. दोनों ने बताया कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त इलाज मिला है.

सिविल अस्पताल के अधीक्षक का बयान

इस संबंध में अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ जेपी मोदी ने कहा कि जितेंद्र और रानू को मिला इलाज अस्पताल की कुशलता का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बावजूद अस्पताल का स्त्री रोग विभाग कुशलतापूर्क काम कर रहा है, रानू के बच्चे का जन्म इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि लगभग 436 ग्राम के नवजात को नवजीवन मिला है.

Last Updated : Dec 13, 2020, 4:43 PM IST

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