चित्रकूट : एक घरेलू कामकाजी, कम पढ़ी-लिखी महिला. समाज के नियमों का पालन करने वाली. एक दिन अचानक वह डकैतों का सामना निहत्थे होकर करती है और पाठा की शेरनी बन जाती है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर चित्रकूट के पाठा में एक छोटा सा गांव हरिजनपुर है. बहुत दिनों तक इस गांव में डकैत ददुआ का राज चलता था, लेकिन एक निहत्थी महिला ने डाकुओं के दांत खट्टे कर दिए थे.
बात 17 मई साल 2001 की है. जब पाठा से डाकुओं ने सतना के बैंक मैनेजर जगन्नाथ तिवारी के 24 वर्षीय बेटे मनीष का अपहरण कर लिया. डाकू युवक को हरिजनपुर लेकर आए. किसी तरह युवक ने खुद को छुड़ाया और भागकर रामलली की टूटी-फूटी झोपड़ी में जा पहुंचा. युवक को घबराया देख रामलली ने उससे उसकी हालत का कारण पूछा. तभी युवक ने रामलली को 'मम्मी मुझे बचा लो' कह कर रोने लगा और पूरी कहानी कह डाली.
हंसिया से किया डाकूओं का सामना
युवक की कहानी जानकर रामलली को उस पर दया आ गई. उन्होंने तय किया कि वह दोबारा युवक को डाकुओं को नहीं सौंपेंगी. रामलली ने आस-पास की महिलाओं को मनाया और डाकूओं से लड़ने की ठान ली. 25 से 30 की संख्या में हथियारबंद डाकुओं ने रामलली के घर धावा बोल युवक को वापस करने को कहने लगे. इस पर रामलली को कुछ नहीं सूझा और हंसिया हाथ में लेकर डाकुओं पर दहाड़ते हुए कूद पड़ी. रामलली को डाकुओं से लड़ता देख अन्य महिलाओं ने डाकुओं पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया. इस हमले से डाकू वापस बीहड़ में भाग गए.
डाकुओं ने किया पति का अपहरण
रामलली ने पति और गांव की सहयोग से चिट्ठी देकर मानिकपुर थाने पर सूचना भेजी. इस बात की सूचना डाकुओं को लग गई और रास्ते में ही रामलली के पति का अपहरण कर लिया. इस पर भी रामलली नहीं घबराई और अपने इरादे पर अडिग रहीं. ग्रामीणों की मदद से सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने युवक को उसके परिजनों से मिलावाया. इसके बाद पुलिस ने कांबिग करते हुए रामलली के पति को डाकुओं की कैद से छुड़ा लिया.