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15 अगस्त की पूर्व संध्या : राष्ट्रपति कोविंद के संदेश में आर्टिकल 370 का जिक्र

15 अगस्त की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत की जनता को संबोधित किया. उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कई अहम बातें भी कही. जानें उनके संबोधन की मुख्य बातें...

राष्ट्रपति कोविंद

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Published : Aug 14, 2019, 7:12 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 12:41 AM IST

नई दिल्ली : 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत की जनता को संबोधित किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के 73 साल के बाद भारत आज एक नाजुक पड़ाव पर है.

देखें देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

अनुच्छेद 370 पर बोले कोविंद
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर उन्होंने कहा कि कश्मीरी भी अब उन सभी अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो देश के दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को मिलती हैं. वे भी अब समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील कानूनों और प्रावधानों का उपयोग कर सकेंगे.

कश्मीरियों को मिलेंगे उनके अधिकार
उन्होंने कहा कि 'शिक्षा का अधिकार' कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. 'सूचना का अधिकार' मिल जाने से, अब वहां के लोग जनहित से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

'तीन तलाक' जैसे अभिशाप से मुक्त हुईं बेटियां
उन्होंने कहा, 'पारंपरिक रूप से वंचित रहे वर्गों के लोगों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी और 'तीन तलाक' जैसे अभिशाप के समाप्त हो जाने से वहां की हमारी बेटियों को भी न्याय मिलेगा और उन्हें भयमुक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा.'

17वें आम चुनावों पर ये बाले कोविंद
राष्ट्रपति ने 17वें आम चुनावों को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि देश की जनता ने इनमें भाग लेकर विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सम्पन्न किया है. इसके लिए उन्होंने सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि लोग बड़ी संख्या में, बहुत उत्साह के साथ, मतदान केन्द्रों तक पहुंचे. उन्होंने न केवल अपने मताधिकार का प्रयोग किया बल्‍कि निर्वाचन से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी भी निभाई.

उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय अभिव्यक्ति की शुरुआत आजादी के उस जज्बे के साथ हुई थी, जिसका अनुभव 15 अगस्त 1947 के दिन सभी देशवासियों ने किया था.

राष्ट्रपति ने साझा किया अनुभव
उन्होंने कहा, 'भारत के राष्ट्रपति के रूप में मुझे देश के विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्‍त होता है. इन यात्राओं के दौरान, विभिन्न कार्य-क्षेत्रों से जुड़े देशवासियों से भी मिलता हूं. मैंने महसूस किया है कि भारत के लोगों की रुचियां और आदतें भले ही अलग-अलग हों लेकिन उनके सपने एक जैसे हैं.'

राष्ट्रपति ने की सरकार की प्रशंसा
उन्होंने कहा कि देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार अनेक बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रही है. गरीब से गरीब लोगों के लिए घर बनाकर और हर घर में बिजली, शौचालय और पानी की सुविधा देकर, सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत बना रही है.

देश के सभी हिस्सों में संचार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं
कोविंद ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में संचार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इसके लिए गांव-गांव को सड़कों से जोड़ा जा रहा है और बेहतर राजमार्ग बनाए जा रहे हैं. रेलयात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जा रहा है. मेट्रो-रेल की सेवा के जरिए अनेक शहरों में लोगों का आवागमन आसान किया जा रहा है.

दिव्यांग-जनों को विशेष सुविधाएं
उन्होंने कहा कि सरकार बड़े पैमाने परस्वास्थ्य-सेवाएं प्रदान कर रही है. दिव्यांग-जनों को मुख्य-धारा से जोड़ने के लिए उन्हें विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं. महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार ने कानून और न्याय-व्यवस्था में आवश्यक सुधार किए हैं.

नागरिकों को जागरूक होने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा, 'सरकार के इन प्रयासों का पूरा लाभ उठाने के लिए हम सभी नागरिकों को जागरूक और सक्रिय रहना होगा. समाज के हित में और हम सभी की अपनी बेहतरी के लिए यह जरूरी है कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई बुनियादी सुविधाओं का हम सदुपयोग करें.'

भारत युवाओं का देश है- कोविंद
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत युवाओं का देश है. हमारे समाज का स्‍वरूप तय करने में युवाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं की ऊर्जा खेल से लेकर विज्ञान तक और ज्ञान की खोज से लेकर सॉफ्ट स्किल तक कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा बिखेर रही है.

'भारत अपने आदर्शों पर अटल रहेगा'
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए भारत अपनी संवेदनशीलता बनाए रखेगा. भारत अपने आदर्शों पर अटल रहेगा और अपने जीवन मूल्यों को संजोकर रखेगा और साहस की परंपरा को आगे बढ़ाएगा.

राष्ट्रपति ने किया महान कवि सुब्रह्मण्य भारती का जिक्र
उन्होंने कहा कि हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को स्वर देने वाले महान कवि सुब्रह्मण्य भारती ने सौ वर्ष से भी पहले भावी भारत की जो कल्पना की थी वह आज के हमारे प्रयासों में साकार होती दिखाई देती है. उन्होंने कहा था:

मंदरम् कर्पोम्, विनय तंदरम् कर्पोम्,
वानय अलप्पोम्, कडल मीनय अलप्पोम्.
चंदिरअ मण्डलत्तु, इयल कण्डु तेलिवोम्,
संदि, तेरुपेरुक्कुम् सात्तिरम् कर्पोम्॥

अर्थात

हम शास्त्र और कार्य कुशलता दोनों सीखेंगे,
हम आकाश और महासागर की सीमाएं नापेंगे.
हम चंद्रमा की प्रकृति को गहराई से जानेंगे,
हम सर्वत्र स्वच्छता रखने की कला सीखेंगे॥

इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वे अपने संबोधन को समाप्त किया और देशवासियों को स्‍वाधीनता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं दी.

बिंदुवार पढ़ें राष्ट्रपति का संबोधन

  • मेरी कामना है कि हमारी समावेशी संस्कृति, हमारे आदर्श, हमारी करुणा, हमारी जिज्ञासा और हमारा भाई-चारा सदैव बना रहे और हम सभी, इन जीवन-मूल्यों की छाया में आगे बढ़ते रहें. मैं आप सभी को स्वाधीनता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं. जय हिन्द !
  • हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को स्वर देने वाले महान कवि सुब्रह्मण्य भारती ने सौ वर्ष से भी पहले भावी भारत की जो कल्पना की थी वह हमारे प्रयासों में साकार होती दिखाई देती है.
  • हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि हम सब प्रकृति के लिए और सभी जीवों के लिए प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं. पूरी दुनिया के जंगली बाघों की तीन-चौथाई आबादी को हमने सुरक्षित बसेरा दिया है.
  • मुझे विश्वास है कि समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए भारत, अपनी संवेदनशीलता बनाए रखेगा. भारत, अपने आदर्शों पर अटल रहेगा. भारत, अपने जीवन मूल्यों को संजोकर रखेगा और साहस की परंपरा को आगे बढ़ाएगा.
  • भारत युवाओं का देश है. हमारे युवाओं की ऊर्जा खेल से लेकर विज्ञान तक और ज्ञान की खोज से लेकर सॉफ्ट स्किल तक कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा बिखेर रही है.
  • दूसरे देशों के साथ हमारे सम्बन्धों में भी हम सहयोग की इसी भावना का परिचय देते हैं. हमारे पास जो भी विशेष अनुभव और योग्यताएं हैं उन्हें सहयोगी देशों के साथ साझा करने में हमें खुशी होती है.
  • भारत का समाज तो हमेशा से सहज और सरल रहा है, तथा 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत पर चलता रहा है. हम भाषा, पंथ और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं. हजारों वर्षों के इतिहास में भारतीय समाज ने शायद ही कभी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम किया हो.
  • जब हम अपने देश की समावेशी संस्कृति की बात करते हैं तब हम सबको यह भी देखना है कि हमारा आपसी व्यवहार कैसा हो. सभी व्यक्तियों के साथ हमें वैसा ही सम्मान-जनक व्यवहार करना चाहिए जैसा हम उनसे अपने लिए चाहते हैं.
  • समाज और राष्ट्र के विकास के लिए बनाए गए इंफ्रास्ट्रक्चर का सदुपयोग करना और उसकी रक्षा करना, हम सभी का कर्तव्य है. यह इंफ्रास्ट्रक्चर हर भारतवासी का है. हम सब का है क्योंकि यह राष्ट्रीय संपत्ति है.
  • हर घर में शौचालय और पानी उपलब्ध कराने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब इन सुविधाओं से हमारी बहन-बेटियों का सशक्तीकरण हो और उनकी गरिमा बढ़े.
  • सरकार के प्रयासों का पूरा लाभ उठाने के लिए हम सभी नागरिकों को जागरूक और सक्रिय रहना होगा.
  • देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, सरकार अनेक बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रही है.
  • सरकार, लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने में उनकी सहायता के लिए बेहतर बुनियादी सुविधाएं और सामर्थ्य उन्हें उपलब्ध करा रही है. ऐसे अनुकूल वातावरण में हमारे देशवासी जो उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं, वे हमारी कल्पना से भी परे हैं.
  • लोगों के जनादेश में उनकी आकांक्षाएं साफ दिखाई देती हैं. इन आकांक्षाओं को पूरा करने में सरकार अपनी भूमिका निभाती है. मेरा मानना है कि 130 करोड़ भारतवासी अपने कौशल, प्रतिभा, उद्यम तथा इनोवेशन के जरिए, बहुत बड़े पैमाने पर, विकास के और अधिक अवसर पैदा कर सकते हैं.
  • आज हमारा लक्ष्य है कि विकास की गति तेज हो, शासन व्यवस्था कुशल और पारदर्शी हो ताकि लोगों का जीवन बेहतर हो.
  • हमारी संस्थाओं और नीति निर्माताओं को चाहिए कि नागरिकों से जो संकेत उन्हें मिलते हैं, उन पर पूरा ध्यान दें और देशवासियों के विचारों तथा इच्छाओं का सम्मान करें.
  • मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि संसद के हाल ही में संपन्न हुए सत्र में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों की बैठकें बहुत सफल रही हैं.
  • यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने गौरवशाली देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जोश के साथ, कंधे से कंधा मिलाकर काम करें.
  • इसी वर्ष गर्मियों में, आप सभी देशवासियों ने 17वें आम चुनाव में भाग लेकर विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सम्पन्न किया है. इस उपलब्धि के लिए सभी मतदाता बधाई के पात्र हैं.
  • मुझे विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए हाल ही में किए गए बदलावों से वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित होंगे.
  • जिस महान पीढ़ी के लोगों ने हमें आजादी दिलाई, उनके लिए स्वाधीनता, केवल राजनीतिक सत्ता को हासिल करने तक सीमित नहीं थी. उनका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और समाज की व्यवस्था को बेहतर बनाना भी था.
  • 2019 का यह साल, गुरु नानक देवजी का 550वां जयंती वर्ष भी है. वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं. गुरु नानक देवजी के सभी अनुयायियों को मैं इस पावन जयंती वर्ष के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं.
  • वर्तमान में चल रहे हमारे अनेक प्रयास गांधीजी के विचारों को ही यथार्थ रूप देते हैं. अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देशवासियों का जीवन बेहतर बनाया जा रहा है. सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर विशेष जोर देना भी गांधीजी की सोच के अनुरूप है.
  • गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है. उन्होंने हमारी आज की गंभीर चुनौतियों का अनुमान पहले ही कर लिया था. गांधीजी मानते थे कि हमें प्रकृति के संसाधनों का उपयोग विवेक के साथ करना चाहिए ताकि विकास और प्रकृति का संतुलन हमेशा बना रहे.
  • 2 अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे. गांधीजी, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे. वे समाज को हर प्रकार के अन्याय से मुक्त कराने के प्रयासों में हमारे मार्गदर्शक भी थे.
  • हम अपने उन असंख्य स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं, जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए संघर्ष, त्या‍ग और बलिदान के महान आदर्श प्रस्तुत किए हैं.
  • राष्ट्रपति ने तिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर सभी को बधाई. यह स्वाधीनता दिवस भारत-माता की सभी संतानों के लिए बेहद खुशी का दिन है, चाहे वे देश में हों या विदेश में हो.
  • इस साल महात्मा गांधी के जन्म के 150 साल पूरे हो रहे हैं. आजादी में उनका योगदान प्रेरणा की तरह था.
Last Updated : Sep 27, 2019, 12:41 AM IST

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