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राजौरी के गौहर बने कश्मीर के युवाओं के लिए रोल मॉडल - वैकल्पिक विषय के रूप में समाजशास्त्र

राजौरी जिले के दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले गौहर आरजू चांद ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा 2018 परीक्षा में अपने पहले प्रयास में 29वीं रैंक हासिल की है. बिना किसी कोचिंग के बेहद प्रतिस्पर्धी परीक्षा पास करने वाले गौहर से घाटी के युवा प्रेरणा ले रहे हैं.

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गौहर आरजू चांद

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Published : Oct 26, 2020, 8:18 PM IST

राजौरी : जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के रहने वाले गौहर आरजू चांद घाटी के सैकड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं. गौहर ने पहले ही प्रयास में कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) 2018 में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिससे उनकी हर तरफ तारीफ हो रही है और युवा उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

राजौरी जिले के थनामंडी तहसील के दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले गौहर ने बिना किसी कोचिंग के बेहद प्रतिस्पर्धी परीक्षा में अपने पहले प्रयास में 29वीं रैंक हासिल की.

गौहर ने प्राथमिक शिक्षा गवर्नमेंट हाई स्कूल बेहरोट से हासिल की. इसके बाद उन्होंने थनामंडी के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.

मीडिया से बात करते हुए गौहर ने बताया कि विज्ञान में स्नातक करने के बावजूद उन्होंने केएएस परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में समाजशास्त्र को चुना.

इलाके के छात्र अब गौहर से अध्ययन और बिना कोचिंग के केएएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने के बारे में सलाह लेने आते हैं. गौहर के चचेरे भाई और दोस्त भी पढ़ाई के लिए उनकी सलाह लेते हैं और भविष्य में भी उनकी तरह ही परिणाम की कामना करते हैं.

गौहर की बहन आरजू चांद ने कहा मेरे भाई ने कड़ी मेहनत और दृढ़ता से पढ़ाई की. मुझे बहुत गर्व है. उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और बिना किसी कोचिंग के केएएस क्वालिफाई किया.

उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई छात्र गौहर से मार्गदर्शन चाहता है, तो उसका स्वागत है.

गौहर की चचेरी बहन साइमा ने कहा कि हम गौहर की शैक्षणिक उपलब्धियों से बेहद प्रेरित हैं. हम उनकी सलाह लेते रहते हैं और उनके अध्ययन पैटर्न पर अमल करते हैं.

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गौहर के माता-पिता को अपने बेटे पर गर्व है और पहले प्रयास में केएएस क्वालिफाई करने के लिए गौहर की प्रतिभा और कड़ी मेहनत की सराहना की.

गौहर के पिता फारूक चांद ने बताया, कश्मीर प्रशासनिक सेवा क्वालिफाई करना मेरा बचपन का सपना था, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया. फिर भी, मेरे बेटे ने यह उपलब्धि हासिल की और मुझे उस पर गर्व है. हम अल्लाह के शुक्रगुजार हैं.

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