नई दिल्ली : चीन के साथ जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर सोमवार को रवाना हो गए. इस दौरान वह समय पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराने तथा द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने के तौर-तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री इस दौरान रूस के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा समूचे रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा कर सकते हैं. S-400 मिसाइल की आपूर्ति रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रमुख प्राथमिकता होगी.
बता दें कि 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीच नई दिल्ली में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के अवसर पर 5.4 अरब डॉलर के मिसाइल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
हालांकि रूस के मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुशकिन ने हाल में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते एस-400 सहित सैन्य करारों के क्रियान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है.
जनवरी 2018 ने अमेरिका में प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए) लागू हुआ था, जिसके तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ रक्षा समझौते करने वाली कंपनियों को लक्षित किया गया.
अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने रूस पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया कि उसकी यूक्रेन और सीरिया के युद्धों में मास्को की लगातार भागीदारी रहती है और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसके कथित तौर पर हस्तक्षेप किया.
भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए अक्टूबर 2018 में एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के करार पर दस्तखत किए थे.
15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. इसलिए भारत सेना को मजबूती देने की लिए S-400 की जल्द से जल्द आपूर्ति चाहता है. आपकों बता दें कि चीन ने रूस से पहले ही इस मिसाइल की आपूर्ति करवा ली है.
अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं. उन्होंने कहा कि सिंह रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ अपनी बातचीत में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली समय पर उपलब्ध कराए जाने का आग्रह कर सकते हैं.