नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर राज्यसभा में विस्तृत बयान दिया. राजनाथ सिंह ने कहा कि हम चीन के साथ मौजूदा स्थिति में हम बातचीत के साथ समाधान चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने चीन के साथ राजनयिक और सैन्य संवाद बनाए रखा है. उन्होंने कहा कि हमारी एप्रोच को तीन सिद्धांत स्पष्ट करते हैं. पहला- एलएसी का सम्मान और कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए. किसी भी पक्ष को स्टेटस को के उल्लंघन का प्रयास नहीं करना चाहिए. दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों और अंडरस्टैंडिंग का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए. संबोधन के अंत में राजनाथ सिंह ने कहा, सदन से अनुरोध है कि एक ध्वनि से सेनाओं की बहादुरी और अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रकट करें. इस सदन से दिया गया एकता और पूर्ण विश्वास का संदेश देश के अलावा दुनियाभर में गूंजेगा. इससे उनमें एक नई ऊर्जा और मनोबल का संचार होगा.
रक्षा मंत्री ने कहा, चीन का यह पक्ष है कि स्थिति को जिम्मेदार ढंग से हैंडल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय समझौतों के साथ शांति और स्थिरता सुनिश्चित किया जाना चाहिए. हालांकि, चीन की गतिविधियों से उसकी कथनी और करनी में अंतर साफ झलकता है. उन्होंने कहा कि चीन की और से उकसाने और भड़काने वाली सैन्य कार्रवाई कई गई. पैंगोंग त्सो में चीन की ओर से यथास्थिति बदलने का प्रयास किया गया. भारत की ओर से कभी भी उकसावे की कार्रवाई नहीं की गई.
राज्यसभा में राजनाथ सिंह का बयान राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सीमा से जुड़े मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान करने के प्रति प्रतिबद्ध है. इस उद्देश्य से मैं चीनी रक्षा मंत्री से विगत चार सितंबर को मॉस्को में मिला. उन्होंने बताया कि मौजूदा स्थिति के बारे में चीनी रक्षा मंत्री से व्यापक चर्चा भी हुई है. भारत ने चीनी पक्ष से समक्ष अपनी चिंताओं को स्पष्ट तरीके से रखा है. इनमें चीनी पक्ष का आक्रामक रवैया, बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती, एकतरफा यथास्थिति बदलने की कोशिशों से संबंधित बातें थीं.
बकौल राजनाथ सिंह, 'भारत ने दो टूक कहा है कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से तरीके से हल करना चाहते हैं.' उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष हमारे साथ काम करे, ऐसी हमारी कामना है, लेकिन हम भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. यह भी स्पष्ट किया गया है.
उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर मॉस्को में चीनी समकक्ष से मिले. दोनों इस सहमति पर पहुंचे कि यदि चीनी पक्ष की ओर से एग्रीमेंट को इमानदारी और विश्वसनीय ढंग से लागू किया जाता है तो कंप्लीट डिस्इंगेजमेंट प्राप्त किया जा सकता है, और सीमावर्ती इलाकों में शांति भी स्थापित की जा सकती है.
राजनाथ सिंह ने कहा, बीते समय में भी चीन के साथ कई बार सीमा को लेकर गतिरोध पैदा हुए हैं, जिनका शांतिपूर्ण समाधान भी किया गया है. हालांकि, इस वर्ष की स्थिति पहले से बहुत अलग है. इसका कारण सैनिकों की स्केल ऑफ इंवॉल्वमेंट हो, और फ्रिक्शन प्वाइंट्स की संख्या है. इसके बावजूद हम शांतिपूर्ण समाधान को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
बिंदुवार पढ़ें राजनाथ सिंह का बयान
- पिछले कुछ दशकों में चीन ने सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर संरचना का विकास शुरू किया है, इससे उन इलाकों में सैन्य तैनाती की क्षमता बढ़ी है.
- इसके जवाब में हमारी सरकार ने भी अपना बजट बढ़ाया है. यह पहले से लगभग दोगुने से अधिक है.
- भारत ने भी सीमावर्ती इलाकों में काफी सड़क और पुलों का निर्माण किया है.
- इससे सशस्त्र बलों को बेहतर लॉजिस्टिकल सपोर्ट मिला है, इसके कारण हमारी सेना सीमा से सटे इलाकों में ज्यादा अलर्ट रह सकती हैं, और बेहतर जवाबी कार्रवाई भी कर सकती हैं.
- आने वाले समय में भी सरकार इस उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध रहेगी.
- सरकार को देशहित में कितने भी सख्त और बड़े कदम उठाने पड़ें, हम पीछे नहीं हटेंगे.
- चीन की कार्रवाई से हमारे द्विपक्षीय समझौतों की अवहेलना स्पष्ट होती है.
- चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है.
- युद्ध की शुरुआत तो हमारे हाथ में होती है, लेकिन इसका अंत नहीं होता.
- मुझे कई बार आश्चर्य होता है कि जिस भूमि से दुनियाभर में शांति का संदेश दिया गया है. उसकी शांति भंग करने की कोशिश की जाती है.
- देश की 130 करोड़ जनता को यह आश्वस्त करता हूं कि देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे, न ही हम किसी का मस्तक झुकाना चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र और इसकी सुरक्षा के प्रति हम दृढ़ संकल्प हैं.
- इस सदन की एक गौरवशाली परंपरा रही है कि जब भी देश के सामने कोई बड़ी चुनौती आई है, तो इस सदन ने भारतीय सेनाओं के दृढ़ता और संकल्प के प्रति पूरी एकता और भरोसा दिखाया है. साथ ही सीमा क्षेत्र में तैनात बहादुर जवानों के शौर्य, पराक्रम और उनकी प्रतिबद्धता के प्रति सदन ने विश्वास भी व्यक्त किया है.
- देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सेना के जवानों का जोश और हौसला बुलंद है. हमारे जवान किसी भी संकट का सामना करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं, लेकिन सैनिकों ने धैर्य और साहस का परिचय दिया है.
- हमारे यहां कहा गया है कि साहसे खलु श्री वसती, यानी साहस में ही विजयश्री का निवास होता है. हमारे सैनिक साहस के साथ-साथ संयम, शक्ति, शौर्य और पराक्रम की जीते जागते प्रमाण हैं.
- बहादुर जवानों के बीच माननीय प्रधानमंत्री के जाने के बाद से सैनिकों और कमांडरों के बीच यह स्पष्ट संदेश गया है कि 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ खड़े हैं.
- रहने, खाने और विशेष पोशाकों के दृष्टिकोण से जवानों के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. अस्त्र-शस्त्र और गोलाबारुद की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है.
- शून्य से नीचे के तापमान और दुर्गम इलाकों में भी सैनिकों के हौसले में कोई कमी नहीं है. सियाचिन और कारगिल में वर्षों से वह अपने कर्तव्य निभा रहे हैं.
- एलएसी का सम्मान करना, उसका कड़ाई से पालन किया जाना सीमा क्षेत्र में शांति और सद्भाव का आधार है. यह 1993 और 1996 में स्वीकार भी किया गया है.
- हमारी सेनाएं समझौतों को स्वीकार कर इसका सम्मान करती हैं, लेकिन चीनी पक्ष की ओर से ऐसा नहीं हुआ है.
- समझौतों में गतिरोध से निपटने के लिए मानक भी तय किए गए हैं.
- इस साल हाल की घटनाओं में चीनी पक्ष की आक्रामक और हिंसक गतिविधि तमाम नॉर्म्स का उल्लंघन है.
- अभी की स्थिति के अनुसार चीनी पक्ष ने एलएसी और अपने अंदरुनी क्षेत्रों में भारी मात्रा में गोलाबारूद और सैन्य टुकड़ियों को मोबिलाइज किया हुआ है.
- चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों ने उपयुक्त काउंटर डिप्लॉयमेंट किए हैं, जिससे भारत की सीमा सुरक्षित रहें.
- सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगी. हमें अपनी सेनाओं पर गर्व है.
- अभी जो स्थिति है, उसमें संवेदनशील ऑपरेशनल मुद्दे शामिल हैं, इसलिए ज्यादा ब्योरे का खुलासा नहीं किया जा सकता. सदन इस संवेदनशीलता को समझेगा मुझे इस बात का भरोसा है.
- कोरोना संकट के दौरान हमारी आर्म्ड फोर्सेज और आईटीबीपी का तेजी से डिप्लॉयमेंट हुआ है. उनकी कोशिशों की सराहना करने की जरूरत है.
- यह इसलिए भी संभव हुआ है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में संरचनात्मक विकास को प्राथमिकता दी है.
- सरकार की अलग-अलग इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच कोऑर्डिनेशन के साथ काम किया जा रहा है.
- अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख में चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई है.
- गलवान घाटी में चीन के सैनिकों ने भारत की पेट्रोलिंग में व्यवधान पैदा किया.
- मई महीने के मध्य में पश्चिमी क्षेत्र में चीनी सैनिकों की ओर से घुसपैठ की कोशिश की.
- हमारी सेना ने समय रहते चीन की हरकतों का माकूल जवाब दिया.
- चीन की ओर से स्टेटस को बदलने की कोशिश की गई
- एलएसी के ऊपर गतिरोध के मद्देनजर सैन्य अधिकारियों ने 6 जून को बैठक की.
- दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि यथास्थिति को नहीं बदला जाएगा.
- 15 जून को गलवान में चीन की ओर से हिंसक टकराव हुआ.
- भारत के बहादुर जवानों ने चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचाई, सीमा की रक्षा में भी कामयाब रहे.
- जहां संयम की जरूरत थी, सेना ने वहां संयम से काम लिया जरूरत पड़ने पर शौर्य भी दिखाया.
- भारत-चीन के बीच सीमा का कस्टमरी और पारंपरिक.
- भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है सीमाएं.
- दोनों देश सदियों से इस बात से अवगत हैं.
- 1950 और 1960 के दशक में इस पर बात हुई, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया.
- भारत की 38 हजार स्क्वायर किलोमीटर पर चीन कब्जा किए हुए है.
- चीन अरुणाचल में 90 हजार स्क्वायर किमी भूभाग को अपना बताता है.
- सीमा का प्रश्न जटिल है, इसके लिए पेशेंश की जरूरत है.
- दोनों पक्षों ने यह माना है कि सीमा पर शांति बनाए रखना दोनों पक्षों के लिए नितांत जरूरी है.
लोकसभा में राजनाथ का बयान
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह लोकसभा में मंगलवार को मुद्दे पर पहले ही बयान दे चुके हैं. लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में चीन की सेना के साथ गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि वहां हम चुनौती का सामना कर रहे हैं लेकिन हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं.
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लोकसभा में पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर दिये गये एक बयान में रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि इस सदन को प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र बलों के साथ है जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए डटकर खडे़ हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने को प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा था कि भारत ने चीन को अवगत कराया है कि भारत-चीन सीमा को जबरन बदलने का प्रयास अस्वीकार्य है.