चेन्नई : सुपरस्टार रजनीकांत ने समाज सुधारक ई वी रामासामी 'पेरियार' द्वारा दशकों पहले निकाली गई एक रैली को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने से मंगलवार को इनकार किया. उन्होंने कहा कि वह न तो खेद प्रकट करेंगे और न ही माफी मांगेंगे तथा उनकी टिप्पणी तथ्यात्मक थी.
डीएमके ने बचने की सलाह दी, स्वामी ने कहा- हम समर्थन करेंगे
अभिनेता के साथ सीधे टकराव से बचते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक ने हालांकि उन्हें दिवंगत नेता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी तो वही अभिनेता को भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी का समर्थन मिला. उन्होंने अदालत में भी समर्थन की बात कही. मामले में एक द्रविड़ संगठन ने रजनीकांत से पेरियार की रैली को लेकर की गई टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग की है.
पेरियार के नेतृत्व में निकाली गई थी रैली
अभिनेता ने अपने बयान कि 1971 में सेलम में पेरियार के नेतृत्व में निकाली गई एक रैली में भगवान राम और सीता की वस्त्रहीन मूर्तियां रखी गई थीं जिन पर जूतों की माला थी, के समर्थन में पत्रिकाओं और अखबारों की क्लिपिंग पेश की.
'जो मैंने सुना, वही कहा'
उन्होंने अपने पोएस गार्डन स्थित आवास के बाहर पत्रकारों से कहा, 'एक विवाद सामने आया है कि मैंने कुछ ऐसा कहा है जो वास्तव में हुआ ही नहीं. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा जो घटित नहीं हुआ. मैंने केवल वही कहा जो मैंने सुना और जो पत्रिकाओं में छपा. क्षमा करें, मैं न तो खेद व्यक्त करूंगा और न ही माफी मांगूंगा.'
उन्होंने कहा, 'मैंने कल्पना से बाहर कुछ भी नहीं कहा या ऐसा कुछ नहीं था जो वहां नहीं हुआ था. लक्ष्मणन (तत्कालीन जनसंघ और अब भाजपा नेता) ने (1971 में) एक धरने में हिस्सा लिया था व इसकी पुष्टि की है.'
'घटना को नकारा नहीं जा सकता है'
अभिनेता ने 1971 की रैली, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं को कथित तौर पर नग्न दिखाया गया था, को लेकर कहा कि कुछ इस तरह की चीजें जो पहले हुई हैं वैसी बार-बार नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह ऐसी घटना है जिसे नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इसे भुला देना चाहिए.