अलवर :देश में सबसे ज्यादा गो-तस्करी के मामले राजस्थान के अलवर जिले से सामने आते हैं. जिले में गो-तस्करों की मॉब लिंचिंग से जुड़ी आठ घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें पांच गो तस्कर मारे जा चुके हैं. इसके अलावा गो तस्करों और पुलिस के बीच मुठभेड़ और फायरिंग की घटनाएं भी सामने आई हैं.
अलवर जिले की सीमा उत्तर प्रदेश व हरियाणा राज्यों से लगती है. इसलिए अलवर जिले से हरियाणा व उत्तर प्रदेश में आना-जाना आसान है. मुख्य रास्तों के अलावा कई कच्चे रास्ते भी अलवर के आसपास के पड़ोसी राज्य व शहरों को जोड़ते हैं. अलवर जिले से आसानी से गो तस्कर व अन्य लोग 15 से 20 मिनट में हरियाणा या उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए गो-तस्करी के अलवर में सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं.
पुलिस की नई कार्य योजना
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अब स्थाई चौकियों के अलावा चौकी का स्टाफ कच्चे रास्तों व अन्य जगहों पर चेक पोस्ट लगाकर वाहनों की जांच पड़ताल करेंगे. इसके तहत वाहनों की चेकिंग के अलावा कार्रवाई भी की जाएगी.
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अलवर में सबसे ज्यादा गो तस्करी रामगढ़, तिजारा, भिवाड़ी, नीमराना, गोविंदगढ़, नौगांवा सहित आसपास क्षेत्र में होती है. ऐसे में सभी जगहों पर चलती फिरती चौकी शुरू की जाएंगी. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि गो-तस्करी रोकने के लगातार प्रयास जारी है.
अलवर में तीन गो रक्षक चौकियां
साल नवंबर 2017 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान अलवर और भरतपुर जिलों में 14 गोरक्षा चौकी व थाने खोले गए. राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां गोरक्षा के लिए पुलिस चौकी खोली गई थी. हरियाणा से सटे अलवर और भरतपुर जिलों के मेवात इलाकों में सबसे ज्यादा गो-तस्करी की घटनाएं होती हैं.