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राजस्थान : कोरोना 'फ्री' हुआ बांसवाड़ा, कलेक्टर ने बताई कैसे मिली कामयाबी?

राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. संकट की इस घड़ी में बांसवाड़ा कामयाबी की एक नई इबारत लिखने जा रहा है. प्रारंभ में अचानक कोरोना विस्फोट से आदिवासी बहुल इलाका बांसवाड़ा जिला प्रदेश के मानचित्र पर हॉट-स्पॉट के रूप में उभरा था. लेकिन लगातार दो महीने के प्रयासों का फल सुखद रूप में सामने आया और आज बांसवाड़ा, कोरोना पॉजिटिव रोगियों के लिहाज से शून्य है.

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Published : Jun 2, 2020, 11:03 PM IST

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जिला कलेक्टर कैलाश बैरवा

बांसवाड़ा : कोरोना पॉजिटिव रोगियों के लिहाज से राजस्थान का बांसवाड़ा जिला अब लगभग निजात पा चुका है. ऐसे में जिला कलेक्टर कैलाश बैरवा ने इस उपलब्धि का श्रेय आमजन को देते हुए कहा कि हमारे यहां कुल 85 लोग संक्रमित थे, जिनमें से दोलोगों का उदयपुर जिले में उपचार जारी है. वही दों अन्य की मौत भी हो चुकी है.

जिला कलेक्टर कैलाश बैरवा से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत

हालांकि उनकी मौत की वजह कोरोना से हुई, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. शेष जो 81 पॉजिटिव केस थे, उन्हें महात्मा गांधी चिकित्सालय में एक के बाद एक कर रिपोर्ट निगेटिव आने के साथ क्वॉरेंटाइन पीरियड के बाद उन्हें घर भेजा जाता रहा. जहां-जहां भी कंटेनमेंट जोन बनाया गया, वहां इसकी कड़ाई से पालन की गई.

हालांकि लोगों को परेशानी जरूर हुई, लेकिन इससे मास कम्यूनिकेशन आगे नहीं बढ़ पाया और जीरो पॉजिटिव के रूप में कामयाबी भी मिली. आगे की रणनीति के बारे में जिला कलेक्टर ने बताया कि जीरो पॉजिटिव के बाद पुलिस और प्रशासन के साथ चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर जहां-जहां कंटेनमेंट जोन बनाकर कर्फ्यू लगाया था, उसे हटाने का निर्णय किया. हमारी यह पॉलिसी आगे भी जारी रहेगी.

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हॉट-स्पॉट बन चुके गुजरात और महाराष्ट्र से आ रहे प्रवासियों को लेकर प्रशासनिक रणनीति का खुलासा करते हुए कलेक्टर बैरवा ने बताया कि लॉकडाउन 4.0 के बाद अंतरराज्यीय सीमा खोल दी गई. लेकिन हमने खतरे को देखते हुए गुजरात और महाराष्ट्र के प्रवेश द्वार मोना-डूंगर और मध्यप्रदेश से आने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए दानपुर चेक पोस्ट कायम रखी है.

इन दोनों की राज्यों से आने वाले प्रवासियों की चेक पोस्ट पर स्क्रीनिंग की जा रही है, जिस किसी व्यक्ति में संदिग्ध लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जरूरत के अनुरूप सैंपल लेने के साथ-साथ इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. इसी का परिणाम है कि आज हम प्रवासी लोगों के लिहाज से प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं. इसके लिए हमने जनजाति विभाग के हॉस्टल और स्कूल क्वॉरेंटाइन सेंटर के तौर पर तैयार कर रखे हैं.

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सैंपल कम लिए जाने के सवाल पर बैरवा ने बताया कि राज्य सरकार ने पुल सैंपलिंग के निर्देश दे रखे हैं. लक्षण के आधार पर हर संदिग्ध रोगी के सैंपल लिए जा रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा लैब मंजूर किए जाने पर कलेक्टर ने बताया कि लैब जल्द से जल्द स्थापित हों. इसके लिए मैंने अपने स्तर पर उदयपुर और जयपुर संबंधित अधिकारियों से बातचीत की है. अब तक पांच मशीनें आ चुकी हैं और शेष अन्य मशीनें भी शीघ्र ही पहुंच जाएंगी. डॉक्टर और नर्सिंग कर्मियों का उदयपुर में प्रशिक्षण चल रहा है. हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द लैब की स्थापना हो जाए, ताकि सैंपल्स की संख्या और भी बढ़ाई जा सके.

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