पटना :कोरोना वायरस के कहर के कारण देशभर में गत 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है. ऐसे में देश के इतिहास में पहला मौका है, जब रेल यात्रा पर भी पूरी तरह से पांबदी लगाई गई है. हजारों यात्रियों को हर रोज मंजिल तक पहुंचाने वाली ट्रेन को यात्रियों का इंतजार है. लॉकडाउन के कारण रेलवे पर भी निजीकरण का खतरा मंडराने लगा है.
भारतीय रेल 167 साल की यात्रा पूरी कर चुकी है. 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच पहले ट्रेन चली थी. भारत में 90 फीसदी लोग ट्रेनों से यात्रा करते हैं. कोरोना वायरस के खतरे और लॉकडाउन के कारण इतिहास में पहली बार रेल बंदी हुई है. देश में लॉकडाउन के बाद पहली बार रेलवे के 16 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को घर बैठना पड़ा है.
20 हजार से ज्यादा ट्रेनों का होता है संचालन
भारत में रेल मार्गों की लंबाई 63 हजार किलोमीटर से ज्यादा बताई जाती है. भारतीय रेल हर रोज 20 हजार से ज्यादा ट्रेनों का संचालन करती हैं और लगभग हर रोज ढाई करोड़ लोग ट्रेनों से सफर करते हैं. लॉकडाउन के कारण रेलवे की रफ्तार पर ब्रेक लग गई है और ऐसे में विशेषज्ञों को निजीकरण का भय सताने लगा है.