नई दिल्ली: रेलवे में स्वच्छता के मुद्दे पर सबसे ज्यादा मिलने वाली शिकायतों को ध्यान में रखते हुए हाल ही में रेल मंत्रालय द्वारा कई ठोस कदम उठाए गए हैं. इनमें से एक रेलगाड़ियों में बायो टॉयलेट्स का इस्तेमाल किया जाना भी है. बायो टॉयलेट की सफलता के बाद अब रेल मंत्रालय वैक्यूम टॉयलेट इस्तेमाल किए जाने पर विचार कर रहा है.
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान रेलवे बोर्ड चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया, 'अभी तक रेलवे ने 95% से ज्यादा कोच में बायो टॉयलेट लगा दिए गए हैं. रेलवे ट्रैक के किनारे गंदगी पर रोक लगाने के लिए काफी हद तक हमने सफलता पा ली है. इससे एक कदम ऊपर जाते हुए हम अब ट्रेनों में वैक्यूम टॉयलेट लगाने जा रहे हैं.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से ईटीवी भारत से बातचीत रेलगाड़ियों में टॉयलेट को आधुनिक बनाने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनके बारे में जानकारी देते हुए विनोद कुमार ने बताया, 'अगर किसी भी कारण से वैक्यूम टॉयलेट काम नहीं कर पाता है तो वह बायो टॉयलेट के तौर पर काम करेगा.'
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प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने के लिये रेलवे के कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की मुहिम पर काम करते हुए रेलवे ने सभी रेलगाड़ियों और स्टेशन परिसर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का निर्णय लिया है. इसके चलते रेलवे के सभी अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
विनोद कुमार ने बताया, 'रेलवे ने लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कपड़े के थैले को बांटा गया और लोगों द्वारा नुक्कड़ नाटक किये गये. इसी के साथ रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनों को लगाया गया है. साथ ही लोगों को प्रोत्साहित भी किया गया ताकि वे इस मशीन का उपयोग करें. इसी के साथ आईआरसीटीसी (IRCTC) को भी यह निर्देश जारी किए गए हैं की रेलगाड़ियों में प्लास्टिक बोतल को उठाकर लाया जाए और उन्हें रीसायकल किया जाए.'
स्वच्छता के लिए पिछले 5 साल में उठाए गए रेलवे के कदम
विनोद कुमार ने ने कहा, 'जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता का आह्वान किया तब से हमने 'स्वच्छ रेलवे, स्वच्छ भारत' की मुहिम चलाई. रेल यात्रियों और रेलवे के कर्मचारियों के सहयोग से हमने रेलवे की परिसर को काफी हद तक स्वच्छ कर लिया है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार ने आगे कहा, 150वीं गांधी जयंती के अवसर भारतीय रेलवे ने स्वच्छता पखवाड़ा शुरू किया था. इसमें आज 18 लाख से ज्यादा लोगों ने मिलकर श्रमदान किया है. इसी के साथ भारतीय रेल परिसर में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरीके से खत्म करने के लक्ष्य को भी हमने काफी हद तक पूरा किया है.