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नामांकन के बाद राहुल ने लेफ्ट के खिलाफ साधी 'चुप्पी'

राहुल गांधी के केरल से चुनाव लड़ने पर वाम दलों ने तल्ख तेवर दिखाए हैं. इसी बीच राहुल ने लेफ्ट पार्टियों पर खामोश रहने की रणनीति अपनाई है. जानें क्या है वाम दल और राहुल की राजनीति...

राहुल गांधी (फाइल फोटो)

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Published : Apr 4, 2019, 4:35 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से नामांकन दाखिल कर दिया है. यहां उनका सीधा मुकाबला वाम गठबंधन से है. बावजूद राहुल ने उनके खिलाफ कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि वाम उन पर हमला करना चाहता है, तो ठीक है, लेकिन वे कुछ नहीं बोलेंगे.

दरअसल, राहुल यह संदेश देना चाहते हैं कि अभी भी उनका मुकाबला लेफ्ट से नहीं, बल्कि भाजपा और उनके साथियों से है. वैसे, राहुल कुछ भी कहें, वायनाड पर जीत चाहिए, तो उन्हें लेफ्ट को ही हराना होगा.

कांग्रेस का तर्क
आधिकारिक रूप से कांग्रेस ने यह कहा है कि वायनाड चुने जाने की वजह दो है. एक तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग और दूसरा यहां से दक्षिण के दो अन्य राज्यों पर पड़ने वालाअसर. यानि तमिलनाडु और कर्नाटक में.

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इसे सही नहीं मानते हैं. उनकी राय है कि अगर राहुल को संदेश ही भेजना था, तो वो कर्नाटक के किसी सीट को चुन सकते थे. इससे यह संदेश जाता कि वो भाजपा के खिलाफ हैं. भाजपा ही प्रमुख विरोधी पार्टी है.

अभी तक राहुल गांधी का परिवार केरल से कभी भी चुनाव नहीं लड़ा है. इंदिरा और सोनिया ने कर्नाटक और आंध्र से अपनी-अपनी किस्मत आजमाई थी.

इंदिरा गांधी ने 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ा था. वह विजयी हुई थीं.

इसके बाद 1980 में वो दो जगहों से चुनाव लड़ीं. यूपी में रायबरेली और आंध्रप्रदेश के मेडक से. वो दोनों जगह से चुनी गईं. मेडक अभी तेलंगाना में है. इसके बाद सोनिया गांधी ने सुषमा स्वराज के खिलाफ कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ा. यहां से सुषमा हार गई थीं.

सीपीएम नाराज
वैसे, नामांकन के बाद राहुल गांधी ने लेफ्ट पर कुछ भी बोलने से बचते रहे. दरअसल, सीपीएम नेता प्रकाश करात पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे राहुल गांधी को यहां से हराकर भेजेंगे. वाम पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी भाजपा से लड़ने के बजाए लेफ्ट से लड़ने आ गए. उनके अनुसार इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा. यहां राहुल ने यह दिखा दिया कि वे मोदी को नहीं, लेफ्ट को हराना चाहते हैं. क्योंकि वायनाड में भाजपा के पास कोई ताकत नहीं है.

सीपीएम महासचिव सीतराम येचुरी चाहते थे कि इस मुद्दे को हवा ना दी जाए. लेकिन करात और अन्य नेताओं ने ऐसा होने नहीं दिया. अब तो येचुरी भी कहने लगे हैं कि राहुल ने यह निर्णय लेकर अच्छा नहीं किया. वैसे, येचुरी से जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस ने लेफ्ट को अकेला छोड़ दिया है, तो वह चुप हो गए.

'राहुल अदृश्य भगवान की तरह'
मीडिया में सीपीएम के एक नेता नेता विजयन चेरूकारा का बयान छपा है. चेरुकारा वायनाड जिले से हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अदृश्य भगवान की तरह हैं. उनके लिए अमेठी आसान हो सकता है, लेकिन वायनाड नहीं.

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कांग्रेस ने प.बंगाल में भी सीपीएम को झटका दिया. पहले दोनों पार्टियों के बीच समझौते की बात की जा रही थी, लेकिन बात नहीं बनी. कांग्रेस चाहती थी कि बंगाल की उन दो सीटों को सीपीएम छोड़ दे, जहां से उनके सांसद जीते हुए हैं. लेकिन लेफ्ट ने इनकार कर दिया. इसके बाद समझौता टूट गया.

लेफ्ट के अस्तित्व पर सवाल
लेफ्ट के सामने दिक्कत ये है कि वे सिर्फ केरल में सरकार में हैं. अगर यहां से उनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा, तो उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाएगा. लिहाजा, सीपीएम कांग्रेस से नाराज है.

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