नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राफेल फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी 'चौकीदार चोर है' को लेकर मंगलवार को उन्हें आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया. गांधी की इन टिप्पणियों के बारे में शीर्ष अदालत ने कहा था कि इसे 'गलत तरीके से उसके हवाले से बताया गया है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही के लिये दायर याचिका पर 30 अप्रैल को राफेल सौदे पर उसके 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं के साथ ही सुनवाई करेगी.
न्यायालय ने लेखी द्वारा दायर आपराधिक अवमानना का मामला बंद करने का राहुल गांधी का अनुरोध ठुकरा दिया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अवमानना याचिका पर गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को सुनने के बाद हम प्रतिवादी (राहुल) गांधी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं.'
पीठ ने कहा, 'हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि पुनर्विचार याचिका को अवमानना याचिका के साथ अगले मंगलवार को सूचीबद्ध करे.'
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि वह गांधी द्वारा दाखिल हलफनामे के विवरण के बारे में उसे अवगत कराएं. इस हलफनामे में राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणियों के लिये खेद व्यक्त करते हुए दावा किया था कि ये 'चुनाव प्रचार के जोश में' कर दी गई थी.
पीठ ने रोहतगी से हलफनामे के विवरण के बारे में जानना चाहा.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'हमने हलफनामा नहीं पढ़ा है, हमें बताएं राहुल गांधी ने क्या कहा है.'
रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने 'स्वीकार किया है' कि उन्होंने 10 अप्रैल के फैसले के संबंध में 'गलत बयान' दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने राफेल मामले में पुनर्विचार याचिका का निर्णय करते समय चुनिन्दा दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केन्द्र की प्रारंभिक आपत्तियां अस्वीकार कर दी थीं.
उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने आवेश में आकर बयान दिया था. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने 10 अप्रैल का आदेश बगैर देखे और पढ़े ही गलत बयान दे दिया था.
गांधी द्वारा सोमवार को दाखिल हलफनामे का जिक्र करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'माफी एक कोष्ठक में है. मेरे अनुसार तो यह क्षमा याचना नहीं है.'
उन्होंने कहा कि एक प्रमुख राजनीतिक दल का शीर्ष नेतृत्व शीर्ष अदालत का आदेश पढ़े बगैर ही बयान देता है कि 'चौकीदार नरेन्द्र मोदी चोर है.'
गांधी के हलफनामे की भाषा शैली का जिक्र करते हुये रोहतगी ने कहा कि वह फैसले पर इस तरह की हल्की टिप्पणी कैसे कर सकते हैं जबकि उनके पास 'इतने अधिक वकील हैं.'