नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना संकट से निपटने के तरीकों को लेकर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से चर्चा की. बातचीत का वीडियो आज (बुधवार) सुबह 10 बजे इसे यूट्यूब चैनल पर जारी किया.
राहुल -किस तरह की रणनीति टेस्टिंग के लिए अपनाई जानी चाहिए.
प्रोफेसर झा -देखिए, द. कोरिया और ताइवान जैसे देशों ने इस मामले में अच्छा काम किया है. वहां पर जिन इलाकों में कोरोना के अधिक मामले मिले, वहां पर अधिक से अधिक टेस्टिंग करवाया गया. कोई भी व्यक्ति जो अस्पताल आता है, उसके लिए टेस्टिंग जरूरी है. वह व्यक्ति चाहे जिस भी कारण से आया हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
राहुल -सांस और डायबिटिज जैसी बीमारियों के लिए युवा क्या कर सकते हैं.
प्रोफेसर झा - अगर आप यह मान लेते हैं कि आप स्वस्थ हैं और आपको कोरोना नहीं होगा, तो यह गलत है. जो युवा खुले में काम करते हैं, उनके लिए विशेष तैयारी होनी चाहिए.
राहुल - क्या गर्मी बढ़ने से कोरोना खत्म हो जाता है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे.
प्रोफेसर झा - इस तरह की धारणा गलत है. वैसे, जब तक रिसर्च ना हो जाए, तब तक ऐसी कोई राय बनाना ठीक नहीं होगा. ये कहा जा रहा है कि बीसीजी टीका से कोरोना वायरस ठीक हो जाता है. मुझे लगता है कि इस पर भी अंतिम राय नहीं बनाई जा सकती है. लेकिन एक बात सही है कि जितना अधिक आप बाहर रहेंगे, कोरोना होने का खतरा उतना अधिक बना रहता है.
राहुल - क्या संयुक्त परिवार में कोरोना का खतरा अधिक रहता है.
प्रोफेसर झा - देखिए, न्यूयॉर्क में ऐसा देखा गया कि जिन युवाओं को कोरोना का संक्रमण हुआ, उन्हें पता नहीं चला. जव बे घर लौटे, तो बुजुर्ग लोग खतरे में आ गए. लिहाजा, इसे आप अधिक से अधिक टेस्टिंग से ही पता लगा सकते हैं.
राहुल -9/11 दुनिया के लिए नया चैप्टर था. लेकिन मुझे लग रहा है कि कोरोना के बाद दुनिया में फिर से बदलाव होगा. क्योंकि आप कोरोना को फैलने से नहीं रोक सकते. ऐसे में केंद्र को राज्यों को अधिक से अधिक सहयोग करना चाहिए. आप क्या कहना चाहेंगे.
प्रोफेसर झा - हां, कोरोना ने दुनिया की व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है. देखिए, यूरोप और अमेरिका जैसे देश भी कोरोना पर विजय नहीं पा सके.
राहुल- क्या वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी है.
प्रोफेसर - तीन देशों ने उम्मीद जगाई है. उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले साल तक वैक्सीन आ जाएगी. जहां तक भारत का सवाल है तो उसे अलग नीति बनानी होगी. क्योंकि यहां बहुत बड़ी संख्या में वैक्सीन की जरूरत होगी. करीब 50 करोड़.