नई दिल्ली :कांग्रेस ने सरकार की ओर से लोकसभा में पेश कृषि से संबंधित विधेयकों को 'किसान विरोधी षड्यंत्र' करार देते हुए सोमवार को कहा कि इससे किसानों को नहीं, बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों को आजादी मिलने वाली है.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, किसान ही हैं जो खरीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं. मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मजदूर पर घातक प्रहार हैं ताकि उन्हें एमएसपी का हक न मिले और मजबूरी में किसान अपनी जमीन पूंजीपतियों को बेच दें.
उन्होंने आरोप लगाया, यह मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र है.
लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने संसद परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा सरकार जो दो विधेयक लेकर आई है वह किसानों और कृषि क्षेत्र को तबाह करने वाले हैं. आज का दिन काला अक्षर से लिखा जाएगा.
उन्होंने कहा हमने सदन में इसका विरोध किया. मंत्री जी ने कहा कि किसानों को आजादी देते हैं. यह सरासर झूठ है. यह किसानों को नहीं, बल्कि बड़े उद्योगपतियों को आजादी देते हैं.
गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता विधेयक और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किए.
यह विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं. देश के कुछ हिस्सों में किसान संगठन इनका विरोध कर रहा है.
वहीं, गौरव गोगोई ने संसद के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हम किसानों, कृषि और आवश्यक वस्तुओं से संबंधित अध्यादेशों और बिलों की शुरुआत का विरोध करते हैं. यह एक ऐसा कार्य है, जो कॉर्पोरेट को किसानों को बेरहमी से शोषण करने की स्वतंत्रता देगा और वह सुरक्षा छीन लेगा जो न्यूनतम समर्थन मूल्य उन्हें देता है.
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उन्होंने आगे कहा इस बिल के माध्यम से, केंद्र विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए कृषि उपज बाजार समिति (APMC) कानून को रद्द कर देगा. यह बिल संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.
इसके अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संसद में इसी बिंदु को चिह्नित करते हुए कहा कि यह विधेयक संघीयता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.