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आत्मनिर्भर भारत के लिए पुनर्निर्माण, पुनर्प्राप्ति और पुनर्कल्पना करें : डॉ रघुनाथ - सार्वजनिक-निजी भागीदारी

पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया चीन के विकल्प की तलाश में होगी, क्योंकि चीन पर अब विश्वास नहीं रहा. भारत एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में उभरा है, जिसके लिए भारत को व्यापार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने और विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करने की आवश्यकता है. पढ़ें पूरी खबर...

पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर
पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर

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Published : Jul 3, 2020, 10:25 PM IST

हैदराबाद : पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर ने कहा कि कोविड​​-19 ने देश में पुनर्निर्माण, पुनर्प्राप्ति और पुनर्कल्पना का स्पष्ट आह्वान किया है. वह काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-समर रिसर्च ट्रेनिंग प्रोग्राम (सीएसआईआर-एसआरटीपी), 2020 के तहत आत्मविश्वास के तहत आत्मनिर्भर भारत पर बातचीत कर रहे थे.

डॉ. माशेलकर ने कहा कि आत्मनिर्भरता या आत्मानिर्भर भारत को प्राप्त करने के हमारे प्रयास में हम खुद को दुनिया से अलग नहीं कर सकते, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत कर सकते हैं. उन्होंने आत्मानिर्भरता के पांच स्तंभों पर जोर दिया- 'खरीदें, बनाएं, बेहतर बनाने के लिए खरीदें, बेहतर खरीदने के लिए बनाएं और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ बनाएं.'

उन्होंने कहा कि उन्हें देश की युवा शक्ति में अटूट विश्वास है, जिसे हमारे देश में फलने-फूलने के लिए तकनीक और विश्वास के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है.

डॉ. माशेलकर का विचार था कि मेक इन इंडिया के लिए केवल उत्पादों के संयोजन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत में भी इसका उत्पादन भी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नए विकल्प के लिए हमें जोरदार शोध करने की जरूरत है.

अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसंधान धन को ज्ञान में परिवर्तित करता है और नई खोज ज्ञान को धन में परिवर्तित करता है, इसलिए दोनों को हमारे राष्ट्र की समृद्धि के लिए हाथ मिलाने की आवश्यकता है. उन्होंने जोर दिया कि हमारे पास प्रतिभा और प्रौद्योगिकियां हैं, लेकिन अब हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया चीन के विकल्प की तलाश में होगी, क्योंकि चीन पर अब विश्वास नहीं रहा. भारत एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में उभरा है, जिसके लिए भारत को व्यापार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने और विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करने की आवश्यकता है.

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