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JNU में छात्र से रैगिंग : 'बिहारी होने के कारण उठक-बैठक कराया' - जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेज

जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेज में दाखिला लेने वाले बीए फर्स्ट ईयर के छात्र रवि राज ने पीएचडी कर रहे एक छात्र पर रैगिंग और मारपीट करने का आरोप लगाया है. पीड़ित छात्र रवि ने पुलिस और प्रशासन दोनों से शिकायत की है.

जेएनयू रैगिंग

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Published : Jul 24, 2019, 6:24 PM IST

नई दिल्ली: जेएनयू में नए सत्र की शुरुआत होते ही बड़ा विवाद सामने आया है. बता दें कि जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेज में दाखिला लेने वाले बीए फर्स्ट ईयर के छात्र रवि राज ने पीएचडी कर रहे एक छात्र पर रैगिंग और मारपीट करने का आरोप लगाया है.

वहीं इस मामले को लेकर पीड़ित छात्र रवि ने पुलिस और प्रशासन दोनों से शिकायत की थी. साथ ही अपनी सुरक्षा की भी मांग की है.

बिहारी कहकर किया अपमानित
रैगिंग का शिकार हुए छात्र रविराज ने बताया कि वे नर्मदा हॉस्टल अपने दोस्त से मिलने गए थे और जब वो डॉरमेट्री से आगे बढ़े तो कार के पास खड़े एक युवक ने उन्हें बुलाया और उनका परिचय पूछा. रवि ने अपना नाम बताते हुए कहा कि वे बिहार के रहने वाले हैं तो उस युवक ने उन्हें बिहारी कहा और गंदी-गंदी गालियां देने लगा.

एन्टी रैगिंग स्क्वाड से की शिकायत
रवि ने आगे बताया कि उस युवक ने उन्हें थप्पड़ भी मारा और कहा कि वे यहां से आगे न जाए. रवि ने कहा कि बिहार से ताल्लुक रखने की वजह से उस युवक ने उनका बहुत अपमान किया. कान पकड़ने को कहा और नहीं पकड़ा तो मार पिटाई की.

रैगिंग का मामला, देखें वीडियो.

इसके अलावा उनसे उठक-बैठक भी करवाया और धमकी देकर कहा कि वह कभी उनके सामने न आए. रवि ने कहा कि इस तरह की धमकी मिलने के बाद उन्होंने जेएनयू के एन्टी रैगिंग स्क्वाड से शिकायत भी कर दी है.

पीएचडी के छात्र पर लगा आरोप
पीड़ित छात्र का कहना है कि धमकी देने वाला छात्र पीएचडी का है. इसके खिलाफ हिम्मत करके छात्र रवि ने पुलिस और जेएनयू प्रशासन दोनों से शिकायत तो कर दी है, लेकिन उन्हें अपनी जान भी खतरे में दिखाई दे रही है. यही वजह है कि उन्होंने पुलिस से प्रोटेक्शन मांगी है. साथ ही ये भी कह दिया है कि यदि उन्हें किसी भी तरह की कोई क्षति पहुंचती है तो उसके लिए पीएचडी का वह छात्र जिम्मेदार होगा.

जेएनयू में रैगिंग का आरोप लगाने वाले छात्र पर आउट ऑफ बॉण्ड्स नोटिस जारी किया जा चुका है. दरअसल 25 मार्च 2019 को जेएनयू परिसर में अवैध रूप से रहने और मारपीट की एक घटना में शामिल होने की वजह से ये नोटिस जारी किया गया था.

इसका मतलब है कि इस छात्र का परिसर में प्रवेश निषेध किया जाता है. इस विषय में सभी विभागों को सूचित भी किया गया था. इसके अलावा हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए कहा गया था कि किसी भी छात्र द्वारा इस छात्र को परिसर के हॉस्टल में रहने देने पर जेएनयू प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाया जाएगा. छात्र ने 18 जुलाई को अपने एक सीनियर पर रैगिंग का आरोप लगाया है.

हॉस्टल पार्टी के दौरान नोटिस
बता दें कि पीड़ित छात्र जेएनयू में 3 मार्च को परिसर में चल रही एक हॉस्टल नाईट पार्टी में शरीक होने अपने एक दोस्त के साथ आया था. उस दौरान पार्टी में कुछ लोगों से मारपीट हो गई थी. वहीं बाहरी व्यक्ति होने की वजह से जेएनयू प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए छात्र को आउट ऑफ बॉण्ड्स घोषित किया था, क्योंकि वह उस समय जेएनयू का छात्र नहीं था. वहीं, जब 3 मार्च 2019 को हॉस्टल नाइट पार्टी के दौरान छात्र के साथ हुई घटना पर प्रतिक्रिया ली गई तो पीड़ित छात्र ने जेएनयू प्रशासन द्वारा उस आउट ऑफ बॉण्ड्स घोषित किए जाने की बात को कबूल ली और बताया कि मुझे आउट ऑफ बॉण्ड्स की जानकारी नहीं थी.

छात्र को मिल चुका है एडमिशन
छात्र ने कहा कि जब जुलाई में एडमिशन लेने आया तो इसके बारे में पता चला. जिसके बाद वीसी ऑफिस में एक एप्लिकेशन दिया तब जाकर मुझे एडमिशन मिला. ऑउट ऑफ बॉण्ड्स के लिए मेरे खिलाफ किसने शिकायत दी ये जानकारी मुझे नहीं है और न ही मुझे ये मालूम है कि उस घटना के बाद मेरे लिए जारी किए गए ऑउट ऑफ बॉण्ड्स में प्रशासन ने क्या कार्रवाई की है. वहीं छात्र ने कहा कि मुझे दाखिला मिल चुका है और हॉस्टल भी अलॉट हो गया है. इसके अलावा जेएनयू में मिलने वाली सारी सुविधाओं के लिए भी एक्सेस मिल चुका है.चीफ प्रॉक्टर से नहीं हुआ संपर्क.

बता दें कि जेएनयू चीफ प्रॉक्टर द्वारा जारी किया गया आउट ऑफ बॉण्ड्स की जानकारी सभी प्रशासनिक अधिकारियों को दे दी गई थी. वहीं जब इस पूरे मामले को लेकर चीफ प्रॉक्टर से बात करने की कोशिश की गई तो उन से संपर्क नहीं हो सका. वहीं, एक सवाल यह भी उठता है कि क्या दाखिले के वक्त जेएनयू प्रशासन द्वारा छात्रों का रिकॉर्ड नहीं देखा जाता है. क्योंकि ये संयोग है कि उसी छात्र के साथ दाखिला लेने के एक ही हफ्ते के अंदर में रैगिंग का मामला सामने आया है.

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