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कोरोना का इलाज : दिल्ली में पारदर्शिता पर सवाल, रेट बताने से कतरा रहे अस्पताल

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Published : Jul 20, 2020, 8:07 PM IST

दिल्ली में आज भी कई अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती होने से पहले रेट बताने में आनाकानी कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में ईटीवी भारत ने दिल्ली के कई अस्पतालों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की है, लेकिन ज्यादातर अस्पतालों ने रेट बताने में ना-नुकुर ही की.

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नई दिल्ली : पिछले दिनों सरकार द्वारा लगाई गई कैपिंग के बावजूद दिल्ली के कई अस्पताल आज भी मरीजों को भर्ती होने से पहले रेट बताने में आनाकानी कर रहे हैं. खासकर निजी अस्पतालों से इसकी सबसे ज्यादा शिकायतें हैं. फोन पर या तो यहां मरीजों को अटेंड ही नहीं किया जाता और अगर किया जाता है तो उनसे इनिशियल डिपॉजिट के साथ पहले भर्ती हो जाने के लिए कहा जाता है. उधर एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात पर लोगों को पैनिक करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अधिकतर लोगों का इलाज घर पर ही हो रहा है.

पिछले कुछ दिनों में ईटीवी भारत ने दिल्ली के कई अस्पतालों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की है. इसमें मैक्स, सर गंगाराम, बी एल कपूर और वेंकटेश्वर हॉस्पिटल प्रमुख रूप से शामिल हैं. उक्त सभी हॉस्पिटलों में इन्क्वारी पर क्या कुछ सवाल-जवाब हुए, ये जानने से पहले दिल्ली में कोरोना की असल स्थिति जानना जरूरी है.

वेंकटेश्वर अस्पताल से ईटीवी भारत की बात

दिल्ली में कोरोना
दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति बेहतर हो रही है. दिल्ली में इसके कुल मामले 1 लाख 22 हजार 793 है, जबकि कोरोना के चलते हुई कुल मौत का आंकड़ा 3628 है. यहां कुल 16031 एक्टिव केस हैं, जिनमें 8819 मरीज होम आइसोलेशन में हैं. गौर करने वाली बात है कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए रखे गए करीब 12 हजार बेड खाली हैं.

क्या है कैपिंग!
कोरोना संक्रमण के उन दिनों में जब मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा थी, तब अस्पतालों में मरीजों से मनमानी फीस वसूली जा रही थी. उन दिनों पहले तो कोई अस्पताल मरीजों को लेता ही नहीं था और अगर लेता था तो उसका बिल लाखों में आता था. इसे देखते हुए सरकार ने कोरोना संक्रमण की अलग-अलग श्रेणियों या कहें कि स्टेज के इलाज पर कैपिंग लगा दी, जिसके बाद अस्पतालों को निर्देशित किया गया कि इस कैपिंग से ज्यादा मरीजों को चार्ज नहीं किया जा सकता. ये रेट (प्रतिदिन) कुछ इस प्रकार हैं.

  • 8000-10,000- आइसोलेशन बेड
  • 13,000-15,000- आईसीयू बिना वेंटिलेटर के
  • 15,000-18,000- आईसीयू वेंटिलेटर के साथ
  • ( इसमें पीपीई किट का दाम भी जुड़ा हुआ है)

ईटीवी भारत ने दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीज को भर्ती कराने के लिए इंक्वायरी की, लेकिन सर गंगा राम हॉस्पिटल को छोड़कर बाकी अन्य हॉस्पिटलों से या तो सकारात्मक जवाब नहीं मिला या उन्होंने रेट बताने में ना-नुकुर ही की.

इस संबंध में मैक्स हॉस्पिटल साकेत से दिन के अलग-अलग समय पर 3 से 4 बार बात करने की कोशिश की गई. हालांकि, कोरोना का नाम सुनकर फोन के दूसरी साइड बैठा व्यक्ति कॉल ट्रांसफर करने की बात कहता और फिर फोन कट जाता.

सर गंगाराम अस्पताल से मिला सकारात्मक जवाब
गंगाराम अस्पताल में कॉल करने पर मालूम हुआ कि बेड खाली भी हैं और इलाज के लिए सरकार द्वारा निर्धारित बेड भी हैं. बताया गया कि मरीज की इनिशियल कंडीशन बताकर एंट्री करा दें और मरीज को ले आएं. जरूरत के हिसाब से वेंटिलेटर की सुविधा दी जाएगी और उसका चार्ज लगेगा. फोन पर ही अटेंडेंट ने रेट भी बता दिए.

ईटीवी भारत ने की गंगाराम अस्पताल से बात

बीएल कपूर और वेंकेटेश्वर हॉस्पिटल का स्टेटस
बीएल कपूर अस्पताल में जब कोरोना मरीज को लेकर इंक्वायरी की गई तो बताया गया कि पहले मरीज को भर्ती करा दीजिए और उसी के बाद पता चलेगा कि क्या खर्चा है. बार-बार एक एस्टीमेट बता देने पर भी अटेंडेंट ने यही दोहराया कि पहले रेट नहीं बता सकते और मरीज को देखकर ही बताया जाएगा. हमने पूछा कि अगर वेंटिलेटर भी लगेगा तो अधिकतम कितना खर्चा आएगा. हालांकि अटेंडेंट यही दोहराता रहा. उधर वेंकटेश्वर अस्पताल में भी कोरोना मरीज का नाम सुनकर लाइन ट्रांसफर ही होती रही, लेकिन बात नहीं हो पाई.

बी एल कपूर अस्पताल से ईटीवी भारत की बात

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कंफेडरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन ऑफ एशिया एंड असिनिया के प्रेजिडेंट डॉ. के.के अग्रवाल कहते हैं कि दिल्ली की 15 से 20 फीसदी आबादी को कोरोना हो चुका है. सरकार ने पहले ही रेट निर्धारित कर दिए हैं और अस्पताल इस रेट के लिए ही बाध्य हैं. हालांकि, लोगों को अगर लक्षण नहीं हैं या ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है तो उन्हें अस्पताल नहीं जाना चाहिए. इसके बावजूद अगर अस्पताल की जरूरत पड़ रही हैं तो घबराएं नहीं. अस्पताल जाएं वहां आपको ज्यादा चार्ज नहीं किया जाएगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट जानें

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