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पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की तलाश में पंजाब पुलिस

पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की तलाश के लिए दिल्ली पहुंची पंजाब पुलिस की स्पेशल जांच टीम के हाथ कुछ नहीं लगा. पूर्व डीजीपी पर आरोप है कि वो अपने करियर के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचार में लिप्त रहे, खासकर जब उन्होंने पंजाब के कम से कम पांच जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में और चंडीगढ़ में एसएसपी के रूप में कार्य किया.

सुमेध सिंह सैनी की फाइल फोटो
सुमेध सिंह सैनी की फाइल फोटो

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Published : Sep 10, 2020, 9:13 PM IST

नई दिल्ली :पंजाब पुलिस की स्पेशल जांच टीम ने पूर्व आईएएस अधिकारी डीएस मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी के कथित अपहरण और हत्या के मामले में आरोपी पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की तलाश के लिए दिल्ली में छापेमारी की.

बलवंत सिंह मुल्तानी चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में एक जूनियर इंजीनियर थे, 1991 में उन्हें आतंकवादी हमले के सिलसिले में पुलिस ने कथित रूप से पकड़ा था जिसमें सैनी घायल हुए थे और तीन पुलिसकर्मी मारे गए थे.

जानकारी के अनुसार एसआईटी की टीम ने दिल्ली में चार स्थानों पर तलाशी ली. पंजाब पुलिस ने सात खोजी टीमों का गठन किया है, लेकिन पंजाब पुलिस अबतक डीजीपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. पंजाब पुलिस ने पंचशील पार्क में छापेमारी की, लेकिन सैनी नहीं मिले. सुमेध सिंह सैनी के पास Z सुरक्षा कवर है, जिससे सवाल उठता है कि वह भागने में कैसे सफल रहा.

इससे पहले, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के बाहर मामले को स्थानांतरित करने या मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. पंजाब के कुछ विपक्षी दलों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस सैनी को गिरफ्तार करने के लिए गंभीर नहीं है और उसकी मदद कर रही है.

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सुमेध सिंह सैनी 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जो 36 साल की सेवा के बाद 30 जून, 2018 को पुलिस महानिदेशक और पंजाब पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए. उन पर आरोप है कि वो अपने करियर के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचार में लिप्त रहे, खासकर जब उन्होंने पंजाब के कम से कम पांच जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में और चंडीगढ़ में एसएसपी के रूप में कार्य किया.

नई दिल्ली में सीबीआई अदालत ने सुमेध सिंह सैनी को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें अदालत में उपस्थिति से क्यों छूट दी जानी चाहिए. सैनी को 12 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करना है. यह मामला 1994 में व्यवसायी अशोक कुमार और उनके दो सहयोगी के अपहरण का है. सैनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है.

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