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नए आयाम छूते भारत-सऊदी आर्थिक संबंध - भारत सऊदी आर्थिक संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते भारत की ऊर्जा आपूर्ति के मुख्य किरदार सऊदी अरब के राज्य की अपनी दूसरी यात्रा संपन्न की. पहली बार वे अप्रैल 2016  में इस देश का दौरा कर चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच आर्थिक गठजोड़ मज़बूत हुआ है. ये मानना है वरिष्ठ पत्रकार पूजा मेहरा का. पूजा आर्थिक मामलों पर लंबे समय से लिखती रही हैं.

मोदी और सऊदी के प्रिंस सलमान

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Published : Nov 4, 2019, 11:02 AM IST

Updated : Nov 4, 2019, 11:07 AM IST

भारत अपनी 80 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है, ऐसे में स्थिर कीमतों पर तेल आयात करने के लिए वह विश्वसनीय स्रोतों की तलाश में है. सऊदी अरब उन योजनाओं में बड़े करीने से उपयुक्त साबित हो सकता है. अमरीका तेल को लेकर आत्मनिर्भर होता जा रहा है, अतः, भारत और चीन कच्चे तेल के प्रमुख आयातक बने रहेंगे. 2018-19 में, सऊदी अरब ने भारत को 403.3 लाख टन कच्चा तेल बेचा था.

इराक के बाद दूसरा देश, सऊदी अरब भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. करीब 18 फीसदी कच्चे तेल का आयात होता है. अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, भारत हर महीने सऊदी अरब से लगभग 200,000 टन एलपीजी, या इसकी कुल आवश्यकता का 32 प्रतिशत खरीदता है.

प्रधानमंत्री मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वे संभावित रूप से भारत और सऊदी अरब के ऊर्जा संबंधों को पूरी तरह से एक नई ऊंचाई पहुंचा सकते हैं - विशुद्ध रूप से सिर्फ़ तेल खरीदार-विक्रेता समीकरण से रणनीतिक साझेदारी तक. इनमें से, इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड और सऊदी अरामको के बीच प्रारंभिक समझौते के परिणामस्वरूप कर्नाटक के पडूर में आगामी बनने दूसरी ईंधन भण्डार की सुविधा में सऊदी अरब की बड़ी भूमिका होगी.

पिछले साल, नई दिल्ली ने योजनाबद्ध 65 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल के भंडार के लिए ओडिशा के चंडिकोहल और पाडुर में रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) सुविधाओं को मंजूरी दी थी –इनके अलावा तीन और स्थानों पर नियोजित कच्चे तेल के भंडार के लिए तय किये गए हैं- विशाखापत्तनम (13.3 लाख मीट्रिक टन), मंगलुरु (15 लाख मीट्रिक टन) और पादुर (25 लाख मीट्रिक टन).

अन्य समझौते पर इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड की पश्चिम एशिया इकाई और सऊदी अरब की 'अल जरी कंपनी' के बीच संयुक्त उपक्रम के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें राज्य में ईंधन स्टेशन स्थापित करना भी शामिल था. भारत में तेल और गैस परियोजनाओं की मूल्य श्रृंखला - तेल आपूर्ति, व्यापार, पेट्रोकेमिकल्स और लुब्रिकेंट में निवेश करने से - दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

सऊदी अरब की राष्ट्रीय तेल कंपनी, अरामको और संयुक्त अरब अमीरात की राष्ट्रीय तेल कंपनी अबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी (एडीएनओसी) ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित रायगढ़ महाराष्ट्र में एक रिफाइनरी स्थापित करने की योजना में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए भारतीय राज्य द्वारा सचालित संघ के साथ एक त्रिपक्षीय सौदा किया है जिसकी प्रति दिन की उत्पादन क्षमता 1.2 मिलियन बैरल आँकी जा रही है. यह परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी बनने के जा रही है.

14 सितंबर को सऊदी अरामको की तेल सुविधाओं पर ड्रोन और मिसाइल द्वारा हुए हमलों झड़ी लग गई जिसने उसके दैनिक उत्पादन के आधे हिस्से को तहसनहस कर वैश्विक तेल बाजार को गंभीर रूप से बाधित कर दिया था, उसके बावजूद सऊदी अरब अपने प्रतिबद्ध निवेशों का सम्मान करता रहा है.

बढ़ती ऊर्जा संबंधों की रणनीतिक प्रकृति रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अरामको के बीच प्रस्तावित साझेदारी में भी परिलक्षित होती है.

तेल और गैर-तेल द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में $ 27.48 बिलियन था, जिसके कारण स ऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था.

तेल के अलावा भी आर्थिक संबंध मजबूत है. सऊदी अरब में 26 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं जो हर साल तकरीबन 1800 करोड़ रूपये भारत में भेजते हैं.

श्रम के अलावा, पूंजी प्रवाह की गुंजाइश भी जबरदस्त है. आकर्षक धन वापसी की तलाश में क्षेत्र के धन निधियों और पेट्रो-डॉलर के लिए, भारत विकास के साथ एक प्रमुख उभरता हुआ बाजार भी है - और इसलिए धन लाभ स्वाभाविक है - जिससे कुछ ही अर्थव्यवस्थायें मेल खाती हैं. दुनिया के सबसे अमीर संप्रभु भंडारों में से एक, पब्लिक इन्वेस्टमेंट फोरम, सऊदी अरब का प्राथमिक उद्यम का माध्यम है.

अपनी हाल में संपन्न हुई यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव (एफ़आईआई) फोरम, जिसे एक निवेश शिखर सम्मेलन 'डावोस इन द डेजर्ट' कहा गया, में मुख्य वक्ता के रूप में भाषण दिया. सितंबर में, सऊदी अरब ने ऊर्जा, शोध, पेट्रोकेमिकल, बुनियादी ढांचे, कृषि, खनिज और खनन सहित कई क्षेत्रों में भारत में 10.000 करोड़ तक के निवेश की योजना की घोषणा की थी. इसने संयुक्त सहयोग और निवेश के 40 से अधिक अवसरों की पहचान की है.

पूजा मेहरा दिल्ली की एक पत्रकार और द लॉस्ट डिकेड (2008-18): हाउ द इंडिया ग्रोथ स्टोरी डेवोल्वड इनटू ग्रोथ विथआउट अ स्टोरी की लेखिका हैं.

Last Updated : Nov 4, 2019, 11:07 AM IST

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