भारत अपनी 80 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है, ऐसे में स्थिर कीमतों पर तेल आयात करने के लिए वह विश्वसनीय स्रोतों की तलाश में है. सऊदी अरब उन योजनाओं में बड़े करीने से उपयुक्त साबित हो सकता है. अमरीका तेल को लेकर आत्मनिर्भर होता जा रहा है, अतः, भारत और चीन कच्चे तेल के प्रमुख आयातक बने रहेंगे. 2018-19 में, सऊदी अरब ने भारत को 403.3 लाख टन कच्चा तेल बेचा था.
इराक के बाद दूसरा देश, सऊदी अरब भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. करीब 18 फीसदी कच्चे तेल का आयात होता है. अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, भारत हर महीने सऊदी अरब से लगभग 200,000 टन एलपीजी, या इसकी कुल आवश्यकता का 32 प्रतिशत खरीदता है.
प्रधानमंत्री मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वे संभावित रूप से भारत और सऊदी अरब के ऊर्जा संबंधों को पूरी तरह से एक नई ऊंचाई पहुंचा सकते हैं - विशुद्ध रूप से सिर्फ़ तेल खरीदार-विक्रेता समीकरण से रणनीतिक साझेदारी तक. इनमें से, इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड और सऊदी अरामको के बीच प्रारंभिक समझौते के परिणामस्वरूप कर्नाटक के पडूर में आगामी बनने दूसरी ईंधन भण्डार की सुविधा में सऊदी अरब की बड़ी भूमिका होगी.
पिछले साल, नई दिल्ली ने योजनाबद्ध 65 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल के भंडार के लिए ओडिशा के चंडिकोहल और पाडुर में रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) सुविधाओं को मंजूरी दी थी –इनके अलावा तीन और स्थानों पर नियोजित कच्चे तेल के भंडार के लिए तय किये गए हैं- विशाखापत्तनम (13.3 लाख मीट्रिक टन), मंगलुरु (15 लाख मीट्रिक टन) और पादुर (25 लाख मीट्रिक टन).
अन्य समझौते पर इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड की पश्चिम एशिया इकाई और सऊदी अरब की 'अल जरी कंपनी' के बीच संयुक्त उपक्रम के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें राज्य में ईंधन स्टेशन स्थापित करना भी शामिल था. भारत में तेल और गैस परियोजनाओं की मूल्य श्रृंखला - तेल आपूर्ति, व्यापार, पेट्रोकेमिकल्स और लुब्रिकेंट में निवेश करने से - दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.
सऊदी अरब की राष्ट्रीय तेल कंपनी, अरामको और संयुक्त अरब अमीरात की राष्ट्रीय तेल कंपनी अबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी (एडीएनओसी) ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित रायगढ़ महाराष्ट्र में एक रिफाइनरी स्थापित करने की योजना में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए भारतीय राज्य द्वारा सचालित संघ के साथ एक त्रिपक्षीय सौदा किया है जिसकी प्रति दिन की उत्पादन क्षमता 1.2 मिलियन बैरल आँकी जा रही है. यह परियोजना दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी बनने के जा रही है.