मुजफ्फराबाद: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद शहर में बीती बुधवार रात मशाल रैली निकाली गई थी. नीलम-झेलम नदी पर चीनी फर्मों द्वारा किए जा रहे मेगा-डैम का विरोध करने के लिए विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है.
समिति के प्रदर्शनकारियों ने 'दरिया बचाओ, मुजफ्फराबाद बचाओ' (नदी बचाओ, मुजफ्फराबाद बचाओ) और 'नीलम-झेलम बने, हमें जिंदा फिर से करें' (नीलम और झेलम नदियों को बहने दो, हमें जीने दो) जैसे नारे लगाए. हाल ही में पाकिस्तान और चीन ने पीओके में आजाद पट्टन और कोहाला जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
चीन-पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के हिस्से के रूप में 700.7 मेगावाट बिजली की आज़ाद पट्टन हाइडल पावर परियोजना पर 6 जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे. 1.54 बिलियन अमेरीकी डॉलर की इस परियोजना को चीन के जियोझाबा ग्रुप कंपनी (सीजीजीसी) द्वारा प्रायोजित किया जाएगा.
कोहाला हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट जो झेलम नदी पर बनाया जाएगा, पीओके के सुधनोटी जिले में आज़ाद पट्टन ब्रिज से लगभग 7 किमी और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 90 किमी दूर है. ये प्रोजेक्ट चाइना थ्री गोरजेस कॉर्पोरेशन, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी) और सिल्क बैंक फंड द्वारा प्रायोजित किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट की 2026 तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में उच्च चीनी उपस्थिति, बांधों का बड़े पैमाने पर निर्माण और नदी के विस्तार से उनके अस्तित्व को खतरा महसूस हो रहा है.
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पीओके के एक राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. अमजद अयूब मिर्जा ने बताया कि, 'पीओके में इस तरह के विरोध प्रदर्शन लंबे समय से जारी हैं, लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है. चीन, थ्री गोरजेस कॉरपोरेशन कोइल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और नीलम जैसी इन बिलियन डॉलर की परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है. झेलम जलविद्युत परियोजना और उन्होंने नदियों के मार्ग को बदल दिया है. इससे मुजफ्फराबाद में तापमान में भारी वृद्धि हुई है.'
डॉ. मिर्जा ने आगे बताया कि, 'एक बार नीलम नदी को एक छोटे से नाले का रूप दिया, इसने स्थानीय निवासियों को बुरी तरह प्रभावित किया, क्योंकि उनके पास पीने का पानी भी नहीं है और ऊपर से नदी सीवेज से भर गई है. 'चीन इस क्षेत्र में बहुत पैसा लगा रहा है और इसे कौन चुकाएगा?' डॉ. मिर्जा ने सवाल किया कि, इन ऋणों को चुकाने से पीओके के गरीब लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. सीपीईसी के मद्देनजर पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को पाकिस्तान और चीन संयुक्त रूप से लूट रहे हैं. कब्जे वाले क्षेत्रों में नाराजगी पाकिस्तान और चीन के खिलाफ अधिक है.