नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ सोमवार को 'यंग इंडिया' के बैनर तले विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रसंघों ने यहां मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत में खालिद ने कहा कि जो राज्य इस कानून के खिलाफ हैं, उन्हें एनआरसी और सीएए के साथ ही एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर भी अपना पक्ष साफ करना चाहिए.
उमर खालिद ने कहा कि पिछले 5 साल जब भी अराजकता और धर्मनिरपेक्षता की बात सामने आती थी तो सभी राजनीतिक दल पीछे हट जाते थे, लेकिन नागरिकता कानून के विरोध में जब विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने अपनी आवाज उठाई तब जाकर विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ अपनी आवाज उठानी शुरू की.
उन्होंने कहा कि एनपीआर तो सीएए और एनआरसी से भी अधिक खतरनाक है और यह जनगणना से बिल्कुल अलग है.
इस संबंध में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन.साई बालाजी ने भी ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए है जबकि ऐसा कानून में बिल्कुल भी नहीं लिखा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में आर्टिकल 14 का उल्लंघन है और इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता तय की गई है.
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बालाजी ने कहा, 'सरकार कहती है कि इसमें विभिन्न धर्म के लोगों को फायदा होगा, हिन्दू धर्म के लोगों को फायदा होगा.' तो फिर श्रीलंका को इस कानून में शामिल क्यों नहीं किया गया, जहां पर सबसे अधिक हिन्दू शरणार्थी रहते हैं.'