नई दिल्ली :कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शनों का दौर देश भर में जारी है. आज दिल्ली में जहां एक ओर संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है तो दूसरी तरफ जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच किसी भी बड़े प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, लिहाजा 108 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे राष्ट्रीय किसान महासंघ का एक छोटा प्रतिनिधिमंडल ही राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा के नेतृत्व में जंतर-मंतर पहुंचा था. हालांकि पुलिस ने उन्हें यहां भी धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी और दस मिनट के भीतर ही सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया.
कृषि अध्यादेशों पर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही मोदी सरकार के सामने देश भर के किसान संगठन भी खड़े हो गए हैं. हालांकि सरकार लगातार यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ये तीन अध्यादेश कृषि क्षेत्र और किसानों के लिये हितकर हैं. कुछ जानकारों ने भी कहा है कि किसानों को इसे समझने की आवश्यकता है लेकिन इन सब के बावजूद सरकार किसान संगठनों के बीच विश्वास नहीं बना पा रही है. राष्ट्रीय किसान महासंघ एक सौ से ज्यादा किसान यूनियनों का समूह है जिसमें देश के लगभग सभी राज्यों से किसान जुड़े हुए हैं.
शिवकुमार शर्मा की प्रतिक्रिया
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' ने कहा कि सरकार कुछ भी कहे लेकिन यह तीनो बिल सीधे कृषि को प्राइवेट कंपनियों के हाथ में देने की तैयारी है. अगर यह किसान के लिए इतने ही लाभप्रद साबित होंगे तो इन अध्यादेशों को लाने से पहले किसानों से बातचीत क्यों नहीं की गई. किसान संगठनों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए थी और यह स्पष्ट करना चाहिए था कि इसमें किसानों के साथ कुछ गलत नहीं होगा. इसके लिए कौन-कौन से प्रावधान हैं.
एमएसपी की व्यवस्था पर बोलते हुए शिव कुमार ने कहा कि पहले ही देश में किसानों को तय एमएसपी के हिसाब से फसल का दाम नहीं मिलता था. इन कानून के बाद सरकार एमएसपी को ही खत्म करने वाली है.
किसान नेता ने आगे कहा कि संभव है मोदी सरकार के पास संख्या बल है और वह इन बिलों को सदन में पास करवा कर कानून बनाने में सफल रहेंगे, लेकिन देश के किसानों ने तीनों बिलों को पहले ही नकार दिया है और अब संसद से भले ही यह पास हो कर आ जाएं, लेकिन सड़क पर किसान इनको फेल कर देंगे.
प्रस्तावित विधेयक में अधिसूचित कृषि मंडियों के बाहर कृषि उत्पादों को बिना किसी बाधा बेचने का प्रावधान है और किसानों को कृषि उत्पादन और बिक्री के लिए निजी संस्थाओं से समझौता करने के लिए सशक्त किया गया है.
नई दिल्ली स्थित ओखला सब्जी मंडी में प्याज विक्रेताओं का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से इसकी कीमतें प्रभावित होंगी. एक विक्रेता, मोहम्मद जकारिया कहते हैं, 'यह आने वाले दिनों में प्याज की कीमत में बदलाव लाएगा. एक या दो दिनों में दरें कम से कम 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर जाएंगी.'
पंजाब में भी विरोध