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Published : Jul 25, 2019, 5:41 PM IST

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आरटीआई बिल के खिलाफ एक बार फिर नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

RTI कार्यकर्ताओं ने सूचना के अधिकार संशोधन कानून के खिलाफ फिर दिल्ली के जंतर मंतर में विरोध प्रदर्शन किया. संसद में भी आरटीआई संशोधन के विरोध में प्रदर्शन जारी है. जानें विरोध प्रदर्शन कर रहे RTI कार्यकर्ताओं का क्या है कहना....

आरटीआई बिल के खिलाफ एक बार फिर नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

नई दिल्लीः सूचना के अधिकार संशोधन कानून को लेकर NDA सरकार राज्यसभा में बिल पेश करने जा रही है, दूसरी तरफ RTI कार्यकर्ता इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

गौरतलब है कि, हाल ही में लोकसभा ने सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक पारित किया है, जिसके बाद NDA सरकार इस कानून को राज्यसभा में पेश करने की पुरजोर तैयारी में है. लेकिन इस बीच आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस कानून में संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

आरटीआई कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन, देखें वीडियो....

दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शनः
प्रदर्शनकारियों ने आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.

क्या है प्रदर्शनकारियों का कहनाः
ईटीवी भारत ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज से बातचीत की और इस विषय पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही.

बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, सूचना का अधिकार कानून लोगों को लोकतांत्रिक अधिकार देता है, लोगों को पास यदि सूचना नहीं होगी तो वह अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे और यह उनके मूलभूत अधिकारों के लिए खतरा है.

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अंजलि भारद्वाज ने कहा, RTI कानून के तहत लोग अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए सूचना मांगकर सरकार से जवाबदेही की मांग करते हैं. लेकिन मोदी सरकार जो आरटीआई संशोधन कानून लाई है वह इस कानून को पूरी तरह से कमजोर कर देगी जिस वजह से हम इसका विरोध कर रहें हैं.

इस संबंध में AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) प्रेसिडेंट सुचेता ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी.

सुचेता ने कहा कि, सिर्फ वोट दे देना ही लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है, लोकतंत्र चल कैसे रहा है इसके बारे में जानना भी लोकतंत्र का हिस्सा है.

उन्होंने आगे कहा कि, सूचना का अधिकार इस देश का नागरिक होने के नाते हमारा हक है और इसे हम लेकर रहेंगे.

बता दें कि आरटीआई कानून में संशोधन के खिलाफ संसद के अंदर भी विरोध हो रहा है और विपक्षी दल इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहें हैं.

संशोधन के मुख्य बिंदुः
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल का होता है, लेकिन संशोधन के तहत इसे बदलने का प्रावधान किया गया है.

संशोधन के तहत आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार निर्धारित करेगी.

नए विधेयक के अनुसार, आयुक्तों के वेतन, भत्ते तथा अन्य रोजगार की शर्तें भी केंद्र सरकार द्वारा ही तय की जाएंगी.

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