नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी कड़ी में रविवार को जंतर-मंतर पर देशभर के अलग-अलग लेखक, कलाकारों और अन्य बुद्धिजीवी सीएए व एनआरसी का विरोध करने पहुंचे.
जंतर-मंतर पर पहले भी कर चुके हैं प्रदर्शन
दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में जहां सड़क जाम कर 70 दिनों से भी ज्यादा समय से महिलाएं-बच्चे बैठे हुए हैं. उसी कड़ी में देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इसी बीच जंतर-मंतर पर भी छात्र, प्रोफेसर, लेखकों के अलग-अलग समूह आकर अपना विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं.
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केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना
रविवार को तमाम बुद्धिजीवी, जो सीएए, एनआरसी का विरोध करते हैं, जंतर-मंतर पर आए. इस दौरान उन्होंने मंच के जरिए अपना गुस्सा प्रकट किया. किसी ने कविता तो किसी ने कहानियों और किसी ने दुनियाभर के अलग-अलग देशों में वहां के लोगों के अधिकार आदि को लेकर यह बताने की कोशिश की कि भारत जैसे विविधता भरे देश में सीएए, एनआरसी का कोई औचित्य नहीं है. केंद्र सरकार की मंशा गलत है.
DUTA की अध्यक्ष का बयान
इसी प्रदर्शन का हिस्सा बनी दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि जंतर-मंतर पर आयोजित यह सम्मेलन 'हम देखेंगे' का नाम काफी सोच समझ कर दिया गया है. यह पहले से निर्धारित था. दिल्ली में जो हिंसा हुई है, इस सम्मेलन में यह चर्चा का विषय बना हुआ है.