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एएफएमसी के अधिकारियों में बढ़ी चिंताएं, रुका हुआ है प्रमोशन - Indian military doctors

पिछले दो साल से पदोन्नति नहीं होने के कारण सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के अधिकारियों में अब बेचैनी बढ़ने लगी है. पदोन्नति न होने के कारण अधिकारियों के करियर में ठहराव आ गया है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की यह खास रिपोर्ट.

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Published : Oct 22, 2020, 8:31 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 2:22 AM IST

नई दिल्ली : ऐसे समय में जबकि सेना को चीन के साथ सीमा पर तनाव का सामना करना पड़ रहा है, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) के अधिकारियों में प्रोन्नति को लेकर चिंताएं बढ़ गईं हैं. उनकी पदोन्नति पिछले दो सालों से रूकी हुई है. परिणामस्वरूप अधिकारियों के करियर की प्रगति में ठहराव आ गया है. इससे अधिकारियों के पद अनुक्रम (hierarchy) में बाधाएं पैदा हो सकती हैं.

हर साल अधिकारियों को पदोन्नत किया जाता है, लेकिन पिछले दो वर्षों में सैन्य डॉक्टरों के पद के लिए कोई भी पदोन्नति नहीं हुई है क्योंकि अभी तक किसी कारणवश पदोन्नति बोर्ड नहीं बन पाए हैं.

नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि यह पदोन्नती लेफ्टिनेंट-कर्नल से लेकर कर्नल, ब्रिगेडियर, ब्रिगेडियर से लेकर मेजर और मेजर से लेफ्टिनेंट जनरल तक के महत्वपूर्ण स्तरों पर होनी है.

दो साल की अवधि के बाद पदोन्नति के लिए कुछ बोर्ड अक्टूबर में बनाए गए हैं, हालांकि नुकसान पहले से ही दिखाई दे रहा है, क्योंकि समयबद्ध पदोन्नति प्रक्रिया में व्यवधान के कारण AFMS अधिकारियों के सुव्यवस्थित करियर प्रगति में गड़बड़ी हुई है. वहीं सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं ने बोर्ड को बनाने के लेकर कहा है कि प्रमोशन के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुमति नहीं मिली थी.

इसके अलावा, मौजूदा कोरोना महामारी और उसके बाद के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने भी स्थिति पर प्रभाव डाला है, जिसके कारण यह प्रमोशन अभी तक रुका हुआ है.

आम तौर पर हर साल सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) के लगभग 150 सैन्य डॉक्टरों को पदोन्नत किया जाता है.

मोटे तौर पर सेना के पिरामिड जैसी संरचना में लेफ्टिनेंट-कर्नल से लेकर कर्नल (या समकक्ष), कर्नल से लेकर ब्रिगेडियर, ब्रिगेडियर से लेकर मेजर-जनरल और मेजर-जनरल से लेफ्टिनेंट-जनरल तक हर साल क्रमश: 80, 40, 20 और 5-6 पदों पर पदोन्नती की जाती है.

बता दें कि AFMS भारतीय सेना की विशेषज्ञ सेवा है जो भारतीय सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करती है. इसकी कुल क्षमता लगभग 60,000 है. इनमें से लगभग 6,000 क्वालीफाइड डॉक्टर हैं.

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यह अधिकारी सेना, नौसेना या वायु सेना का हिस्सा हो सकते हैं. तीन लाख की सेना के पास लगभग 4,500 डॉक्टरों की संख्या है, जो काफी अधिक है.

भारतीय सेना की चिकित्सा कैडर, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (DGAFMS) के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट-जनरल (या नौसेना और IAF में समकक्ष) रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में आती है.

AFMS में आर्मी मेडिकल कोर (AMC), आर्मी डेंटल कोर (AD Corps) और मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (MNS) शामिल हैं.

Last Updated : Oct 23, 2020, 2:22 AM IST

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