नई दिल्ली : ऐसे समय में जबकि सेना को चीन के साथ सीमा पर तनाव का सामना करना पड़ रहा है, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) के अधिकारियों में प्रोन्नति को लेकर चिंताएं बढ़ गईं हैं. उनकी पदोन्नति पिछले दो सालों से रूकी हुई है. परिणामस्वरूप अधिकारियों के करियर की प्रगति में ठहराव आ गया है. इससे अधिकारियों के पद अनुक्रम (hierarchy) में बाधाएं पैदा हो सकती हैं.
हर साल अधिकारियों को पदोन्नत किया जाता है, लेकिन पिछले दो वर्षों में सैन्य डॉक्टरों के पद के लिए कोई भी पदोन्नति नहीं हुई है क्योंकि अभी तक किसी कारणवश पदोन्नति बोर्ड नहीं बन पाए हैं.
नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि यह पदोन्नती लेफ्टिनेंट-कर्नल से लेकर कर्नल, ब्रिगेडियर, ब्रिगेडियर से लेकर मेजर और मेजर से लेफ्टिनेंट जनरल तक के महत्वपूर्ण स्तरों पर होनी है.
दो साल की अवधि के बाद पदोन्नति के लिए कुछ बोर्ड अक्टूबर में बनाए गए हैं, हालांकि नुकसान पहले से ही दिखाई दे रहा है, क्योंकि समयबद्ध पदोन्नति प्रक्रिया में व्यवधान के कारण AFMS अधिकारियों के सुव्यवस्थित करियर प्रगति में गड़बड़ी हुई है. वहीं सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं ने बोर्ड को बनाने के लेकर कहा है कि प्रमोशन के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुमति नहीं मिली थी.
इसके अलावा, मौजूदा कोरोना महामारी और उसके बाद के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने भी स्थिति पर प्रभाव डाला है, जिसके कारण यह प्रमोशन अभी तक रुका हुआ है.
आम तौर पर हर साल सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) के लगभग 150 सैन्य डॉक्टरों को पदोन्नत किया जाता है.