भागलपुर: अगर कोई कुछ नया करने की जिद ठान ले तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता. बिहार के भागलपुर में रहने वाले 70 वर्षीय प्रोफेसर संजय कुमार झा ने कागज से करामात दिखाने की जो ठानी, तो उसे करके ही दम लिया. यही वजह है कि उनके हुनर को सराहने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और लोकप्रिय गायिका आशा भोसले तक शामिल हैं.
साधारण जिंदगी जीते हैं संजय झा
प्रोफेसर संजय झा कागज से ऐसा गुलाब बनाते हैं कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है. इन दिनों संजय झा को लोग फूल वाले प्रोफेसर के रूप में जानने लगे हैं. भागलपुर के प्रोफेसर कॉलोनी में संजय झा अपनी पत्नी के साथ लाल कोठी में रहते हैं. बहुत सीधी-साधी जिंदगी जीने वाले संजय झा इतने स्वावलंबी हैं कि खाना पीना, कपड़ा धोना यहां तक कि अपना बाल भी वह खुद ही काटते हैं.
कला को सीखने की ठानी जिद
संजय झा ने बताया, '14-15 साल की उम्र में मैंने एक दिन मुहल्ले में देखा कि एक व्यक्ति लोगों को कागज का फूल बनाकर दिखा रहा था. मैंने जब उससे उसकी इस कला के बारे में पूछा तो उसने टाल दिया. इसके बाद मैंने इस कला को सीखने की जिद ठान ली. यहीं से कागज का फूल बनाने का मेरा सफर शुरू हुआ.'
खूब मिलती थी लोगों की वाहवाही
संजय कहते हैं कि 50 साल की अथक मेहनत के बाद वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं.प्रो. संजय ने बताया, 'युवा अवस्था में सुबह अखाड़े में, दोपहर स्कूल, कॉलेज और शाम कागजों से खेलने में बीतती थी. कागज जब आकार लेता था, तब लोगों की वाहवाही भी मिलती थी. लेकिन मेरी जिद थी कि ऐसा बनाऊं कि नकली और असली में फर्क न लगे.'
बड़े भाई और दोस्तों ने की मदद
प्रो. संजय ने बताया, कि 'भागलपुर विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग का अध्यापक बन जाने के बाद रिसर्च की मेरी दुनिया बड़ी हो चुकी थी. मैं चाहता था कि जो गुलाब बनाऊं, उसकी पखुंड़ियों को मसलने के बाद वैसा ही रस निकले, जैसा असली गुलाब में होता है. आकार तो आ गया था, लेकिन टेक्सचर और रंग पर भी काम करना था. 'उन्होंने बताया कि इस काम में उनके बड़े भाई और पटना स्कूल ऑफ आर्ट के प्राचार्य उदय कांत झा और मुंबई में व्यावसायिक आर्ट के चर्चित नाम अक्कू झा ने मदद की. कई साल की लगातार मेहनत के बाद लोगों ने वो गुलाब देखा, जिसमें सुगंध भी थी और रंग भी.