बेंगलुरु :आधुनिक युग में जैसे-जैसे लोगों की जीवन शैली बदल रही है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य की समस्याएं भी बढ़ रही हैं. टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटल्स और मेडिसिन्स के विकास के बाद अधिक से अधिक मानव रोगग्रस्त हो रहे हैं. हाल के दिनों में लोग पक्षाघात से अधिक पीड़ित हैं और यदि उचित उपचार उपलब्ध है, तो इसे ठीक भी किया जा सकता है.
बता दें, ब्रेन में रक्त परिसंचरण में गड़बड़ी होने और रक्त वाहिकाओं के रुकने से पक्षाघात मानव शरीर पर हमला करता है. वहीं, जब मस्तिष्क की कोशिकाओं में रक्त का संचार कम या रुक जाता है, तो कोशिकाएं कुछ सेकंड में ही निष्क्रिय हो जाती हैं. अंत में हकलाना और मेमोरी लॉस और इसके अलावा स्टैमर की तरह बन जाता है और कभी-कभी यह बोलने की क्रिया को पूरी तरह से रोक देता है.
क्या कहती है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पैरालिसिस से वैश्विक मृत्यु दर का दूसरा स्थान है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरालिसिस के अनुसार हर मिनट में एक व्यक्ति पक्षाघात से पीड़ित है. भारत में इनमें से 90% मामलों में समय पर उपचार की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है. यदि किसी को पैरालिसिस (लकवा) पड़ता है तो दौरा पड़ने के 4 से 6 घंटे के बीच उचित इलाज दिया जाए, तो उसे बचाया जा सकता है. यह समय इलाज देने के लिए पर्याप्त होता है. उपचार को एक अच्छे समय में प्रदान करके उस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है, जिसमें मस्तिष्क कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं. यदि पक्षाघात वाले व्यक्ति को एक घंटे के भीतर उपचार मिलता है, तो निश्चित रूप से वह जल्द ही ठीक हो जाएगा. इन प्रकार की उपचार सेवाओं को समय पर प्रदान करने से 65% मामलों का इलाज होगा.