बेंगलुरु : कर्नाटक में गौ हत्या विरोधी बिल पारित हो गया है. विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कर्नाटक विधान सभा में यह विधेयक पेश हुआ था. इससे पहले गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी गौ हत्या विरोधी कानून बन चुका है. विधान सभा में गौ हत्या विधेयक 4.50 बजे पेश हुआ था और करीब 6.20 तक यह विधेयक पारित हो गया.
कर्नाटक में गौ हत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 पहले से लागू है, लेकिन इनमें कड़े नियमों की कमी है. यही वजह है कि भाजपा सरकार ने तय किया है कि इस संबंध में नया कानून लाएगी.
मौजूदा अधिनियम के तहत अपराधी को केवल छह महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा होती है, अधिनियम में बछड़े के वध पर भी प्रतिबंध है जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है और वधशालाओं में लाए जाने वाली गायों के परिवहन के लिए अनुमति जरूरी है. अधिनियम में कमियां होने की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलते हैं.
सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल की
भाजपा सरकार ने 2010 में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 और कर्नाटक गौ हत्या और संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया था. पशुओं का वध रोकने के अलावा इस बिल में गौवंश में भैंस, बैल और बछड़ों को भी शामिल किया गया. इनकी हत्या पर सजा को छह महीने से बढ़ाकर सात साल किया. साथ ही जुर्माना राशि एक लाख रुपए कर दी. साथ ही पुलिस को ज्यादा अधिकार दिए गए. एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है.