बेंगलुरु: चंद्रयान-2 मंगलवार को सुबह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है. चंद्रयान-2 सात सितंबर को चंद्रमा पर लैंड करेगा, इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 (बाहुबली) की मदद से प्रक्षेपित किया गया था. इसी सिलसिले में ETV भारत ने इसरो चीफ के सिवन से खास बातचीत की.
इस दौरान उन्होंने कहा कि चंद्रयान 2 के पहली कक्षा में प्रवेश करने से हम बेहद खुश हैं. यह यहां तक सटीक तरीके से पहुंचा है.
आगे वे कहते हैं कि सात सितंबर ही हमारे लिए असल परीक्षा का दिन है. पावर डिसेंड हम सात तारीख की सुबह 1.40 बजे शुरु कर देंगे. 15 मिनट के भीतर ही पूरी मशीन फंक्शन करना शुरू कर देगी. उसी 15 मिनट में चंद्रयान दो चंद्रमा पर उतरेगा. ये मिशन बहुत ही कठिन होने वाला है क्योंकि इसमें सब नई तकनीकों का प्रयोग हो रहा है. हम ये प्रयास करेंगे कि सब कुछ ठीक हो. हम सब बहुत उत्सुकता के साथ इस दिन का इंतेजार कर रहे हैं.
सिवान आगे बताते हैं कि कुल 17 हजार लोग चंद्रयान दो पर काम कर रहे हैं. कंट्रोल स्टेशन में काम करने वाले लोग थोड़े ही हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग कंट्रोल स्टेशन के बाहर काम कर रहे हैं. लोग अलग-अलग नेटवर्क में काम कर रहे हैं.
साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि तकनीक के क्षेत्र में ये एक बड़ी सफलता है. भारतीय होने के तौर पर मैं इसे पूरा होता देख गर्व महसूस कर रहा हूं. भारत के लिए हमें एक नई तकनीक मिलने जा रही है, जिससे हमें फायदा होगा. एक बार जब चंद्रमा पर डेटा मिलना शुरू हो जाएगा तो हम उसे मानव उत्थान के लिए साझा करेंगे. हमें इसे लोगों से साझा करने के विषय पर कोई विवाद नहीं है.
के सिवान ने पीसी कर भारत के लोगों से साझा की हर उपडेट
इसरो चीफ ने कहा कि 7 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट पर चंद्रयान-2 चांद पर लैंड करेगा.
इसरो चेयरमैन के सिवान ने चंद्रयान-2 का चांद के कक्षा में प्रवेश करने को बड़ी उपलब्धी बताई है. उन्होंने कहा कि इस मिशन ने आज एक बड़ा मील के पत्थर को पार किया है.
के सिवान ने कहा कि अगली बड़ी घटना 2 सितंबर को होगी जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. 3 सितंबर को हमारे पास लगभग 3 सेकंड के लिए एक छोटी सी चुनौती होगी. यहां हमे अपनी कुशलता का परिचय देना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लैंडर की प्रणालियां सामान्य रूप से चल रही हैं.
बता दें कि चंद्रयान-2 में तीन हिस्से हैं, ऑर्बिटर, लैंडर, विक्रम और रोवर प्रज्ञान. लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग का हिस्सा बनेगा जबकि ऑर्बिटर सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए शोध को अंजाम देगा.
आज भारत के लिए ऐतिहासिक दिन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए चंद्रयान2 को चंद्रमा की कक्षा में मंगलवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.
अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु मुख्यालय ने एक बयान में कहा कि ‘लूनर ऑर्बिट इंसर्शन’ (एलओआई) प्रक्रिया सुबह नौ बजकर दो मिनट पर सफलतापूर्वक पूरी हुई . प्रणोदन प्रणाली के जरिए इसे संपन्न किया गया.
इसरो ने कहा, ' यह पूरी प्रक्रिया 1,738 सेकेंड की थी और इसके साथ ही चंद्रयान2 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया.'
इसरो ने कहा कि इसके बाद यान को चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्र ध्रुवों के ऊपर से गुजर रही इसकी अंतिम कक्षा में पहुंचाने के लिए चार और कक्षीय प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा.
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसके बाद लैंडर 'विक्रम' दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा.
इसरो ने कहा कि सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर 'साॉफ्ट लैंडिंग' कराने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले लैंडर संबंधी दो कक्षीय प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा.
बेंगलूरु के नजदीक ब्याललू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलूरू स्थित ‘इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशन्स कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.