नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में गुरुवार को बताया कि लॉकडाउन के अवधि में सड़क निर्माण जैसे काम को भी मंजूरी दी गई है. गृह मंत्रालय की ओर से उन्होंने स्पष्ट किया है कि वरिष्ठ नागरिकों के इन-हाउस केयर, शहरी क्षेत्रों में प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज उपयोगिताओं और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को लॉकडाउन प्रतिबंध से छूट दी गई है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश के 78 जिलों में बीते 14 दिनों में कोविड-19 का कोई नया मामला सामने नहीं आया. उन्होंने बताया, 'हम लॉकडाउन के 30 दिनों में वायरस के संचरण में कमी, कोविड-19 के प्रसार को न्यूनतम कर पाने में सफल रहे हैं.'
लव अग्रवाल ने बताया कि बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1409 केस सामने आए. इसके साथ ही देश में अब तक संक्रमण के कुल मामले 21,393 हो चुके हैं.
उन्होंने बताया कि अब तक कुल 4257 मरीज ठीक हो चुके हैं और उन्हें देश के भिन्न अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि देश में संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर लगातार सुधर रही है और आज की तारीख में रिकवरी रेट 19.89 फीसदी पहुंच गई है. संक्रमित मरीजों में कुल 687 लोगों की मौत हो चुकी है.
अग्रवाल के अनुसार यह बताना बहुत मुश्किल है कि कोरोना वायरस अपने शिखर पर तीन मई तक आएगा या कब आएगा, लेकिन यह बहुत स्थिर है. पूरे विश्व में सकारात्मकता दर 4.5% है, हम कह सकते हैं कि हम वक्र को समतल करने में सक्षम हैं. हालांकि, इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है.
वहीं, पर्यावरण सेसी और अध्यक्ष, सीके मिश्रा ने कहा कि हम ट्रांसमिशन में कटौती, प्रसार को कम करने और दोहरीकरण दर को बढ़ाने में सक्षम हैं. हमने भविष्य के लिए खुद को तैयार करने के लिए इस समय का उपयोग किया है.
उन्होंने कहा कि 23 मार्च को हमने देश भर में 14,915 परीक्षण किए थे और 22 अप्रैल तक हमने 5 लाख से अधिक परीक्षण किए हैं. यह वर्तमान कहानी है और इस वर्तमान कहानी और भविष्य के प्रक्षेपण के आधार पर हमें इस देश में एक रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद जांच में 24 गुना की वृद्धि हुई है, जबकि नए मामलों की संख्या 16 गुना बढ़ी. पिछले महीने में कोविड-19 के लिए निर्धारित अस्पतालों की संख्या 3.5 गुना बढ़ी, जबकि पृथक बिस्तरों की संख्या में 3.6 गुना वृद्धि हुई.
पढ़ें- सत्येंद्र जैन ने बताया कोरोना वायरस से निपटने के लिए कितनी तैयार है दिल्ली
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि विभिन्न केंद्रों पर, हमने दीक्षांत प्लाज्मा का उपयोग शुरू कर दिया है, जो कि ठीक हुए कोविड-19 रोगियों का रक्त है. बड़ी संख्या में ठीक हुए मरीज आगे आए हैं और स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए तैयार हैं.