भुवनेश्वर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर रविवार को यहां खुर्दा शहर के पास बरूनेई में पाइका स्मारक की आधारशिला रखी. उन्होंने इसके बाद उत्कल विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में भी भाग लिया.
उत्कल विश्विवद्यालय के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं यहां आप लोगों के बीच में आकर अपने आप को गौरवान्वित महुसस कर रहा हूं. मैं उत्कल विश्वविद्यालय की प्लेटिनम जुबली के समापन समोराह में शामिल होकर खुश हूं. मैं इस अवसर पर यहां मौजूद सभी लोगों को बधाई देता हूं.'
कोविंद ने कहा, 'उत्कल विश्वविद्यालय की स्थापना 1943 में हुई थी. उत्कल-गौरव मधुसूदन दास, उत्कल-मणि गोपबंधु दास से लेकर आधुनिक ओडिशा के निर्माता बीजू बाबू ने ओडिशा के लोगों के विकास के लिए अमूल्य प्रयास किए थे. उनके सपनों के ओडिशा का निर्माण करके ही हम सब, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों के भारत तथा नए भारत का निर्माण करने में सफल होंगे.'
राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि इस विश्वविद्यालय की आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1958 में रखी थी और इसका उद्घाटन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. एस. राधा कृष्णन ने 1963 में किया था. लगभग 50 वर्ष के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी ने 2013 में इस विश्वविद्यालय में लोगों को संबोधित किया था. इसलिए मैं यहां आकर खुश हूं.'
इसके पूर्व कोविंद ने पाइका स्मारक का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'खोरधा की इस पवित्र धरती से मैं पाइका विद्रोह के वीर-बलिदानियों को नमन करता हूं. भगवान जगन्नाथ का यह क्षेत्र भक्ति और क्रांति का अपूर्व संगम प्रस्तुत करता है. यहां के पाइका विद्रोहियों ने अन्याय के विरुद्ध जब शस्त्र उठाया तो उनका युद्धघोष था जय जगन्नाथ.'
उन्होंने कहा, 'इस वीर भूमि में पाइका विद्रोह के सेनानियों के स्मारक-स्थल की भूमि पूजा और शिलान्यास का अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस समारोह के आयोजकों को धन्यवाद देता हूं. हमारे इतिहास के गौरवशाली अध्यायों से देशवासियों को परिचित कराना, खासकर युवा पीढ़ी को पूर्वजों के बलिदान का महत्व समझाना, राष्ट्र-निर्माण का एक अहम हिस्सा है.'
राष्ट्रपति ने कहा, 'यहां जिस स्मारक का निर्माण होगा, वह पाइका शूरवीरों की गाथा को भविष्य के लिए संजोकर रखेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए, प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में लगभग 10 एकड़ के इस पाइका विद्रोह स्मारक परिसर को एक तीर्थ-स्थल की महिमा प्राप्त होगी.'