नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बीच भारत कल यानी 15 अगस्त को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. आजादी की वर्षगांठ की पूर्व पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं. एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है. मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने के अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद हैं.
स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है देश, आत्मनिर्भरता दुनिया से अलगाव नहीं : कोविंद - कोरोना महामारी
कोरोना महामारी के बीच भारत कल यानी 15 अगस्त को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. आजादी की वर्षगांठ की पूर्व पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद ने राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं. इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा.
राष्ट्रपति कोविंद का संदेश
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं. किसान बिना किसी बाधा के, देश में कहीं भी, अपनी उपज बेचकर उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं. किसानों को नियामक प्रतिबंधों से मुक्त करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
बिंदुवार पढ़ें राष्ट्रपति कोविंद की बातें-
- हमारे पास विश्व-समुदाय को देने के लिए बहुत कुछ है, विशेषकर बौद्धिक, आध्यात्मिक और विश्व-शांति के क्षेत्र में. मैं प्रार्थना करता हूं कि समस्त विश्व का कल्याण हो: सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः. सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत्.
- आप सभी देशवासी, इस वैश्विक महामारी का सामना करने में, जिस समझदारी और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, उसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है. मुझे विश्वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और ज़िम्मेदारी बनाए रखेंगे.
- केवल दस दिन पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ है और देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है.
- मुझे विश्वास है कि हमारे देश और युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है.
- लॉकडाउन और उसके बाद क्रमशः अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान शासन, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यालय के काम-काज और सामाजिक संपर्क के प्रभावी माध्यम के रूप में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है.
- चौथा सबक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित है. इस वैश्विक महामारी से विज्ञान और टेक्नोलॉजी को तेजी से विकसित करने की आवश्यकता पर और अधिक ध्यान गया है.
- सार्वजनिक अस्पतालों और प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाई है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण गरीबों के लिए इस महामारी का सामना करना संभव हो पाया है. इसलिए, इन सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुविधाओं को और अधिक विस्तृत व सुदृढ़ बनाना होगा.
- कोरोना वायरस मानव समाज द्वारा बनाए गए कृत्रिम विभाजनों को नहीं मानता है. इससे यह विश्वास पुष्ट होता है कि मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किए गए हर प्रकार के पूर्वाग्रह और सीमाओं से, हमें ऊपर उठने की आवश्यकता है.
- 21वीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए.
- जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के प्रत्येक सदस्य की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है. मेरी धारणा है कि वर्तमान संदर्भ में 'अर्थ-केंद्रित समावेशन' से अधिक महत्व 'मानव-केंद्रित सहयोग' का है.
- वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं. एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है. मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने का अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद है.
- कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं. किसान बिना किसी बाधा के, देश में कहीं भी, अपनी उपज बेचकर उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं. किसानों को नियामक प्रतिबंधों से मुक्त करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
- मेरा मानना है कि कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में, जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है. हमने मौजूदा संकट को सबके हित में, विशेष रूप से किसानों और छोटे उद्यमियों के हित में, समुचित सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को पुन: गति प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा है.
- उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा. हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.
- सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे. पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है. हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है.
- आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया.
- 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, देश-विदेश में रह रहे, भारत के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं.
इस अवसर पर हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं. उनके बलिदान के बल पर ही, हम सब, आज एक स्वाधीन देश के निवासी हैं. - हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे. उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था.
- इस वर्ष स्वतंत्रता दिवसके उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी. इसका कारण स्पष्ट है. पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है.
- यह बहुत आश्वस्त करने वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्र सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए, समय रहते, प्रभावी कदम उठा लिए थे.
- इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है. राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की. जनता ने पूरा सहयोग दिया.
- इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है. यह पूरे विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है.
- राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं.
- ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं. इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है. ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं.
- इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए अम्फान चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गईं. इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली.
- इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है. संकट के इस दौर में, उनको सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं.
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है, ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने, एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके.
- किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है.
- दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है.
- भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है.
- अपने सामर्थ्य में विश्वास के बल पर, हमने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है. अन्य देशों के अनुरोध पर, दवाओं की आपूर्ति करके, हमने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में, विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है.
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए, हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन, भारत के प्रति व्यापक अंतरराष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है.
Last Updated : Aug 14, 2020, 7:56 PM IST