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पंजाब : प्रताप सिंह बाजवा ने की अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तानाशाह करार दिया है और उनके काम करने के तरीकों पर निशाना साधा है. बाजवा ने मुख्यमंत्री पर मादक पदार्थ की तस्करी करने वालों को बचाने का आरोप लगाया है.

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Published : Aug 20, 2020, 11:03 PM IST

प्रताप सिंह बाजवा
प्रताप सिंह बाजवा

नई दिल्ली :राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके और कैप्टन के बीच कोई निजी दुश्मनी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिसने चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम किया. बीते 3 वर्षों में यह उनका ही कठिन परिश्रम था, जिसके अच्छे नतीजे रहे. उनका कोई निजी एजेंडा नहीं है.

दरअसल पंजाब कांग्रेस में यह मतभेद हाल ही में जहरीली शराब पीकर 121 लोगों की मौत के बाद उभरे हैं. बाजवा ने कहा कि कैप्टन कुछ बाबुओं के सहारे सरकार चला रहे हैं.

उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि चुनाव के दौरान वादे किए गए, लेकिन यह वादे पूरे नहीं किए गए और हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते. अमरिंदर ने कहा था कि उन्हें चुनाव के दौरान 4 हफ्तों का समय चाहिए.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ मतभेद के अन्य मुद्दे गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर है, क्योंकि इससे पहले की अकाली सरकार राजनीतिक स्वार्थ के लिए डेरा सच्चा सौदा के साथ हाथ मिला रही थी और गलत कार्यो में फंस गई और बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए, जिसमें दो युवा मारे भी गए.

बाजवा ने कहा कि अमरिंदर सिंह ने मामले को देखने का वादा किया था और जिन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी, उन्हें कटघरे में लाने का भी वादा किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों युवाओं को न्याय दिलाया जाएगा. लेकिन वह भी नहीं हुआ.

मादक पदार्थों की तस्करी पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद आबकारी मंत्री और गृहमंत्री हैं, और बीते तीन साल में जहरीली शराब की वजह से पंजाब को करीब 2700 करोड़ रुपये की हानि हुई है और आबकारी विभाग उस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं. यह पहली बार है कि इस बाबत लक्ष्य पूरा नहीं होगा और इससे खजाने में हानि होगी, जहां पहले से ही त्रासदी हुई है और इसमें 121 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

उन्होंने कहा कि 1984 से 1998 के बीच अमरिंदर अकाली दल के साथ थे और इसलिए वह पार्टी की विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और कांग्रेस कार्यकर्ता पूरी तरह से निराशा महसूस कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि पंजाब में राज्यपाल का शासन है. ऐसा लगता ही नहीं है कि राज्य में लोकप्रिय कांग्रेस शासन है.

(आईएएनएस)

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